नादान की नादानी
नीचे जमीं ऊपर आसमान रहने दो, समझदार बनो तुम मुझे नादान रहने दो ।
मंगलवार, अगस्त 17, 2010
हम एक है
फिल्म प्रभाग भारत सरकार लखनऊ शाखा के सभी साथी श्री मिश्री लाल जी के सेवानिवृति के मौके पर मौजूद सभी साथीगण
सभी धर्मो को आदर करो
सभी धर्मों के आदर में हम सब को शीश झुकाना चाहिए ...............
इश्वर एक है नाम भिन्न है
सभी धर्मो का श्रोत एक है इसलिए जात पांत की कोई बात नहीं होनी चाहिए..............क्यों भाई ठीक है न .
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जज्बात
गुनाह कुछ ऐसा किया है मैंने दोस्त नाम दुश्मन को दिया है मैंने खुद और खुदा की पहचान सिर्फ जिंदगी को अकेले ही जिया है मैंने .........दोस्त मेर...
नादानी
ढॅूढतेे हो छायीं पेड़ को उखाड़कर, बने हैं कई मकान रिश्ते बिगाड़कर, तालीम भी तुमसे बदनाम हो गयी, पायी है डिग्री जो तुमने जुगाड़कर, ...
(शीर्षकहीन)