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अप्रैल 8, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भय बिन होय न प्रीत.....

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भय बिन होय न प्रीत......इन पाॅच शब्दों में गहरा रहस्य छिपा है कि जब भी मनुष्य पर मुसीबत आती है तो वो उस मुसीबत से निजात दिलाने वाले लोगों के लिए कितना संस्कारी और नरम हो जाता है, भले ही सामान्य दिनों में अपशब्दों से लेकर मारपीट करने में पीछे न रहता हो, जब कारगिल का युद्व चल रहा था तो लोगो में सेना के प्रति सम्मान चरम पर था, भले ही फौजी भाई को रेल मे बैठने को सीट न दें, गाॅव मे उनकी जमीन कब्जा कर लें, इस दौर में जो सम्मान उनका मिल रहा था उसमें उनके कर्म से ज्यादा अपनी सुरक्षा नजर आ रही थी। आज के अखबर में एक तस्वीर छपी, देखी, पढ़ी मन में कुछ विचार आए जो आपके सामने साझाा कर रहा हूॅ, तस्वीर इस लेख के नीचे दिख रही है। कोरोना से लड़ने वाले इज्जतकर्मियों का सम्मान किया गया। (इज्जतकर्मी नाम मोदी जी ने दिया है, हालांकि लोग इस नाम को प्रयोग करने मे इज्जत महसूस नही करते हैं ) इसके अलावा शीतला माता के हाथ में झाड़ू  इज्जतकर्मियों की महत्ता पर प्रकाश डालने के लिए काफी है ।   यह वो इज्जतकर्मी हैं जो हर मौसम में मौसम के सितम सहता है, महसूस कीजिए आपके गल्ली मोहल्ले और शहर की सलामती के लिए ये खुद

आज तक वेतन न लेने वाले मंत्री रविन्द्र जायसवाल UTTAR PRADESH

आज तक वेतन न लेने वाले मंत्री रविन्द्र जायसवाल की तारीफ बैठक में यह बात भी सामने आई कि स्टांपए न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन राज्यमंत्री ;स्वतंत्र प्रभार रविन्द्र जायसवाल ने विधायक बनने के बाद से अब तक कभी वेतन नहीं लिया है। इस पर मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्रियों ने उनका आभार जताया। रविन्द्र पिछले आठ वर्ष से विधायक हैं। वह अपना पूरा वेतन मुख्यमंत्री के राहत कोष में जमा करते रहे हैं।

नकली गरीब बनाम असली गरीबः लाॅकडाउन के हवाले से

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फिर नकली ने असली को पछाड़ दिया , मौका था महामारी कोरोना से दिक्कतों में आए परिवारों की मदद करने का , रमेश रावत एडवोकेट जी ने अपने पास से लगभग 400 लोगों के लिए आटा , चावल , तेल , दालें , साबुन आदि सामग्री  दो पैकेटों में तैयार करवायी , कई दिन गली गली घूमकर वास्तविक जरूरतमंद लोगों की सूची बनायी और उन्हें उनके घर पर ही पर्ची वितरित कर दी गयी ताकि पात्र परिवार की सुव्यस्थित मदद की जा सके। (2) दिनांक 7 अप्रैल 2020, दिन मंगलवार , नई बस्ती निलमथा के बाबा साहब की मूर्ति वाले प्रांगण को वितरण स्थल के रूप में उपयोग किया गया ,   सवेरे नौ बजे से ही जरूरतमंदों का आना शुरू हो गया , लगभग एक एक मीटर की दूरी पर गोले बनाए गए थे , वितरण टेबल के पास ही एक व्यक्ति पर्ची लेकर रजिस्टर में मिलान करता और सामग्री देने के लिए कह देता , उससे पहले एक व्यक्ति हाथों का सैनेटाईजर भी करवा रहा था , प्रांगण में कुर्सियाँ पड़ी थी , आसपास के लगभग सभी वर्गों और समुदाय के लोग जाति धर्म , पद प्रतिष्ठा , दल राजनीति , अमीरी गरीबी सबसे ऊपर उठकर इस मानवता को समर्पित आयोजन में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे थे , प्रमुख