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सितंबर 17, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वो जमाना अच्छा था

गरीब था हर शख्स पर सच्चा था आज के ज़माने से वो जमाना अच्छा था अब तो अपने भी इज्ज़त करना भूल गए उस वक़्त इज्ज़त देता मोहल्ले का हर बच्चा था ..............आज के ज़माने से पक्का हुआ मकान जब से जेब खाली हो गई दो चार हज़ार पास थे जब घर अपना कच्चा था ...........आज के ज़माने से