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मई 15, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कोरोना काल में प्रासंगिक यह मुहावरा.....................जंगल मे मोर नाचा किसने देखा...........

       मेरे एक बहुत ही करीबी हैं उनसे क्या रिश्ता है मैं आज तक निर्धारित नही कर पाया हूॅ क्योंकि जिस भी रिश्ते के दायरे में उनको लाना चाहता हूॅ उनके व्यक्तित्व के आगे हर रिश्ता छोटा नजर आता है , फिर भी मैं उन्हें भैया कहता हॅू ।          उनका व्यक्तित्व उनके द्वारा ही निर्मित है, मंचों पर सम्मान प्राप्ति में उनका नाम उनके खानदान में सबसे टाॅप पर है, कमरे में जगह नही है, पुरस्कार और सम्मान में जो शील्ड मिली हैं वो रात में जगह प्राप्ति के लिए उधर खिसको दबे जा रहे हैं कहते हुए एक दूसरे से लड़ती हैं ।           हाॅ हर सम्मान के बाद अपने उद्बोधन में वो एक वाक्य को पिछले कई वर्षों से बोलते आ रहे हैं और वो यह कि आज मैं जो कुछ भी हूॅ उसका श्रेय अम्मा को जाता है । मेरी जानकारी में अपनी अम्मा और अपने बाबूजी को दो ही लोग हर मौके पर याद करते हैं, बाबू जी को याद करने वाले हैं सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और अम्मा को याद करने वाले यह हमारे भैया साहब ।          हम दोनो अक्सर मौका मिलते ही चाय पर चर्चा कर लेते हैं स्थान निर्धारित नही है पर हम दोनो ही होंगे और चर्चा होगी यह निश्चित है, मैं