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जयसंविधान वोट की ताकत ...................

मनुष्य जिन पैरों के सहारे खड़ा होता है और जिस पीठ और नीचे के हिस्से के सहारे लेटता बैठता है उनको ही सबसे ज्यादा नजरअंदाज करता है, उसका पूरा ध्यान चेहरे को चमकाने मे लगा होता है, लेकिन जो पैर उसके जीवन को गतिमान बनाते हैं,  पीठ और नीचे का जो हिस्सा उसको सबसे ज्यादा आराम देते है, उनकी वो सबसे ज्यादा उपेक्षा करता है। यही हाल हमारे कुछ जनप्रतिनिधियों का है, जिनके वोट से और जिस जनता के लिए उन्हें पद और प्रतिष्ठा मिली है वो उनको नजर अन्दाज करके सारी निष्ठा और समर्पण  राग दरबारी ( इसे आम भाषा में चमचागिरी कहते हैं) के साथ साथ  पार्टी आलाकमान, देश मुखिया, प्रदेश मुखिया और भिन्न भिन्न प्रकार के  मुखियाओं के इर्द गिर्द ही  रहती है। कोरोना महामारी भी हमारे कुछ जनप्रतिनिधियों के आचरण और व्यवहार को बदल नही पायी, ऐसे महानुभाव के वर्तमान आचरण से प्रेरित होकर ही मतदाता भविष्य के मतदान से उनको हमेशा के लिए इतिहास बना देता है, क्योंकि वोट रूपी पवित्र ताकत अभी भी उस गरीब के पास ही है और रहेगी जिसको आप नजरअंदाज कर रहे हैं, आपकी बेरूखी और लफ्फाजी तो उसके वोट की ताकत को कम नही कर पाएगी लेकिन उसकी बेरूखी आ