नादान की नादानी
नीचे जमीं ऊपर आसमान रहने दो, समझदार बनो तुम मुझे नादान रहने दो ।
शुक्रवार, फ़रवरी 16, 2018
ना आवाम के रहे ,
ना राम के रहे ,
सत्ता पाने के बाद
कहाँ किसी काम के रहे।
नादान
लिखित परीक्षा
तनख्वाह घटा दीजिये
सब्सिडी हटा दीजिये
बस हर मोहल्ले में संसद जैसी , कैंटीन खुलवा दीजिये
संतरी बन रहे है लिखित परीक्षा से
मंत्री बनने को भी एक लिखित इम्तिहान करवा दीजिये
zindagi guzar gayee
कली बनी, फूल बनी , और पंखुड़ी बन बिखर गयी ,
हम समझ न पाए ठीक से और ज़िन्दगी गुज़र गयी
नादान
बुजुर्गों की शान को कुछ और दिन बरकार रहने दे
आँगन पूरा ले ले तू उठाने को बीच में दीवार रहने दो
नादान
pareshaa
रास्ते कटीले हो गए
जिंदगी के सफर के
खुद परेशां हो गया
हमें परेशां करके
नादान
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