beti ka baap
दाने दाने को मोहताज़ है इमानदार बनकर बेईमान जी रहा है दुनिया में शानदार बनकर अंदर से मर चुका है बाप बेटी का स्वागत कर रहा है बरात का जानदार बनकर इस कविता के लिए मिला सम्मान दिनांक ०९ दिसम्बर २०१७
नीचे जमीं ऊपर आसमान रहने दो, समझदार बनो तुम मुझे नादान रहने दो ।