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DARD KO DAWA NAHI DEEDAR CHAHIYE.......

खुदा का चाहिए या यार चाहिए , दर्द को दवा नही दीदार चाहिए , हमारी तड़प से जो वास्ता रखे , दोस्त हमें ऐसा बेकरार चाहिए , रोज रोज मिलना अच्छा नही , मुलाकात को अब इंतजार चाहिए , वो मासूम है मॅा की मौत क्या जाने , उसे तो हर कीमत पर प्यार चाहिए , चिंगारी कर देगी तबाह सारे गॅाव को , महफूज रहने को हमें अंगार चाहिए , खत्म कर दो सारे रिश्ते इस जहॅा से , वक्त पर आए काम वो रिश्तेदार चाहिए , किनारों ने बर्बाद कर दिया मेरा घर , जो डुबाए न हमको वो मझधार चाहिए , जीतने वाला खुश नही सीने से लगकर , उसको भी दिखाने को गले मे हार चाहिए , देखे न जात पॅात बस इंसानियत देखे , नादान हमें तो बस ऐसी सरकार चाहिए। © मुकेश नादान

TUMHARA FAAYDA TO NAHI HUA...........

तुम्हारा फायदा तो नही हुआ मेरे नुकसान से , दिल में   मोहब्बत लिए नफरत फैला दी जुबान से , मोहब्बत से मिले थे तो मोहब्बत से जुदा होते , क्या जरूरत थी की खेलते तुम किसी की जान से , रिश्ता तोड़ दिया तुमने कामयाब होने के बाद , ताउम्र दबे रहोगे तब भी मॅा बाप के अहसान से , खुदा   और भगवान तुम्हारे हो ही नही सकते , क्योंकि तुम्हें नफरत है उसके ही इंसान से , भूख भी एक जैसी है अपनी दर्द भी एक जैसा है , फिर कब उठेंगे ऊपर हम हिन्दू और मुसलमान से , न चेहरे पर चमक न होंठों पर मुस्कान है तुम्हारे , सब खो दिया तुमने ऐ दोस्त दूर होकर नादान से ।

LOCKDOWN...........HAI BHAI

सैल्यूट तुझे ऐ मेरे देश.................तमाम उतार चढ़ाव और अफवाहों के बावजूद हर शख्स लगा है  सेवा में हालांकि कुछ बेवकूफ भी हैं पर उनका प्रतिशत समझदारों से कम है, इसलिए वो दीपावली के अनार की तरह जलते तो हैं पर बहुत ही जल्दी फुस्सस... हो जाते हैं। हमें उन पर ध्यान ही नही देना चाहिए कारण यह है कि जानवर हिंसक और पॅापुलर तभी होते हैं जब उन पर ज्यादा ध्यान दिया जाए, मैं उन बेवकूफों को जानवर नही कह रहा हॅू, वो समझे तो यह उनका अपना दर्द है। इसके अलावा सरकार और सरकारी सेवक सफाई से सिपाही तक, थानेदार से जिलेदार तक, कम्पाउडर से डाॅक्टर तक, बैंक वाले, बिजली वाले, मीडिया वाले आदि सब मिलकर लगे हैं अपने देश की और जन की सेवा में कहीं कहीं तो ऐसी तस्वीरें दिख रही हैं कि थाने मे खाना बन रहा है, बच्ची ने गुल्लक तोड़कर पैसे पुलिस अंकल को मदद के लिए दे दिए, कहीं पति पत्नी को कन्धे पर बैठाकर पैदल चल पड़ा। एन बी टी के सुधीर मिश्रा जी ने एक ऐसी  तस्वीर से रूबरू कराया कि दूर के नाते रिश्तेदार लकवा से ग्रस्त एक बुजुर्ग को बल्ली के सहारे झूला बनाकर दिल्ली से पैदल ही लेकर लखनऊ आ गए। कुछ दुकानदारों ने मौका का फायदा