DARD KO DAWA NAHI DEEDAR CHAHIYE.......
खुदा का चाहिए या यार
चाहिए,
दर्द को दवा नही दीदार
चाहिए,
हमारी तड़प से जो वास्ता
रखे,
दोस्त हमें ऐसा बेकरार
चाहिए,
रोज रोज मिलना अच्छा नही,
मुलाकात को अब इंतजार
चाहिए,
वो मासूम है मॅा की मौत
क्या जाने,
उसे तो हर कीमत पर प्यार
चाहिए,
चिंगारी कर देगी तबाह
सारे गॅाव को,
महफूज रहने को हमें अंगार
चाहिए,
खत्म कर दो सारे रिश्ते
इस जहॅा से,
वक्त पर आए काम वो
रिश्तेदार चाहिए,
किनारों ने बर्बाद कर
दिया मेरा घर,
जो डुबाए न हमको वो मझधार
चाहिए,
जीतने वाला खुश नही सीने
से लगकर,
उसको भी दिखाने को गले मे
हार चाहिए,
देखे न जात पॅात बस इंसानियत देखे,
नादान हमें तो बस ऐसी
सरकार चाहिए।
© मुकेश नादान
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