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जुलाई, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
मोहब्बत , मदद, तारीफ ढलान पर है , नफरत और दुश्मनी पहले पदान पर है , खसरा, खतौनी ,रजिस्ट्री सब उसके नाम से , पर हक़ नहीं बूढ़े का अपने मकान पर है,  बहुत ज्यादा न उड़ना कामयाब होकर , रुकने न कोई ठिकाना आसमान पर है , पढ़ा लिखा उसे और बढ़ी सख्सियत बना , अड़ा पूरा घर को उसके कन्यादान पर है , बैंक से पैसे निकालने को लगता है अंगूठा , काम करता वो किताबों की दूकान पर है, मिल गयी तरक्की तो काम अपना बताया , नाकाम हुआ तो इलज़ाम भगवन पर है, तेरे सितम क्या बिगाड़ लेंगे मेरा , सितमगरो की रहमत पहले ही नादान पर है  
तुम भी तैयारी करो हम भी तैयारी करें , पेचिदगी मोहब्बत में ख़तम सारी करें , हल्के लोगों के यहाँ रिश्ता न कीजियेगा , कभी चैन मोटी माँगे कभी अँगूठी भारी  करें , लाखों लग जाएंगे मुकदमेबाज़ी में नादान  क्यों हज़ारो की जमीन पर मारामारी करें,
मै  लड़खड़ाया  तो बहुत  पर गिरा नहीं  ये कमाल तेरा था मालिक मिरा नहीं |                                               नादान