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सितंबर, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वो जमाना अच्छा था

गरीब था हर शख्स पर सच्चा था आज के ज़माने से वो जमाना अच्छा था अब तो अपने भी इज्ज़त करना भूल गए उस वक़्त इज्ज़त देता मोहल्ले का हर बच्चा था ..............आज के ज़माने से पक्का हुआ मकान जब से जेब खाली हो गई दो चार हज़ार पास थे जब घर अपना कच्चा था ...........आज के ज़माने से

यह दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे

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फेमिना के बगल में शिखर उनके बगल में अनसु लखनऊ की दिलकुशा कालोनी में ईद के मौके पर .............हैप्पी ईद

बचपन की दोस्ती

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चारों सहेलियां केंद्रीय विद्यालय लखनऊ केंट में पढ़ती है ईद के मौके पर फेमिना ने सेवई की दावत दी थी सबसे लेफ्ट शालिनी उसके बाद अनसु फिर फेमिना और हिना ...........हैप्पी ईद

ईद मुबारक!

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ख़ुदाया बना कोई ऐसा निज़ाम , जहाँ सबकी ख़ुशियों का हो इंतज़ाम । रहे गर न बाक़ी कोई बदनसीब , तो हो जाए ' अनवार ' अपनी भी ईद ।

सारे जहाँ से अच्छा से हिंदुस्तान हमारा

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शालिनी, मानस और शिखर तीनो १५ अगस्त २०१० को स्कूल जाने के लिए तैयार तीनो ख़ुशी दिखाई दे रहे लड्डू मिलेंगे न भाई तो खुश क्यों न हो...................................

पढोगे लिखोगे बनोगे नवाब

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०९ अगस्त २०१० यह मानस के जीवन का सबसे ख़ास दिन आज से यह मदर टेरेसा पब्लिक स्कूल दुर्गापुरी निलमथा, लखनऊ केंट के स्टुडेंट हो गए है सोमवार का यह दिन इनके जीवन के लिए ख़ास रहेगा
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यह है मानस जी स्कूल का नाम अखिल उमेश यह हसी यूँही बनी रहे इसलिए इन्हें स्कूल भेजना जरुरी है यानी शिक्षा दिलाना हालाँकि यह ३ साल के है पर अक्ल में दोगुना आगे हाज़िर जवाब