रविवार, मार्च 28, 2010
औकात में रहिये
बान्द्रा वरली सी लिंक के दुसरे चरण के उदघाटन समारोह के बाद देश में नेताओ के बेसुरे राग सुनायी पड़े सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को आमंत्रित करने और अमिताभ द्वारा तहे दिल से कार्यक्रम का हिस्सा बनकर शायद ही ऐसी ओछी राजनीती की कल्पना की होगी जैसी की उन्हें सुननी पड़ी ।
कांग्रेस में शायद ही कोई ऐसा नेता हो जिसकी छवि अमिताभ बच्चन के इर्द गिर्द कही ठहरती हो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने जो कुछ पाया वोह अपनी महनत से नहीं वरन पिता के नाम के बदले जो पहले मुख्यमंत्री रह चुके है । पार्टी आलाकमान भी विरासत में मिली सत्ता भोग रही है । इसके विपरीत अमिताभ बच्चन ने जो पाया वोह अपनी महनत से ही पाया । सदी के महानायक का सम्मान भी उनकी अपनी महनत और शालीनता से भरे व्यवहार की वजह से ही मिला न की राजनेताओ की तरह झूठे वादों से यह अमिताभ बच्चन की अपनी जमा पूँजी है जो उन्होंने अपनी महनत से बनाई ।
दुसरे की दया और नाम से सत्ता सुख भोगने वालों आपको अमिताभ का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उस महान व्यक्तित्व ने तुम्हारे निमंत्रण को स्वीकार कर कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए , महाराष्ट्र सरकार से पूछना चाहता हूँ कि क्या यह कार्यक्रम उनका पारिवारिक कार्यक्रम था या कांग्रेस पार्टी का निजी कार्यक्रम था जवाब होगा नहीं तो फिर सार्वजनिक प्रोग्राम के लिए इतनी जलालत क्यों ? अमिताभ बच्चन ने आपका निमंत्रण स्वीकार करके कार्यक्रम में शामिल होकर अपना नहीं तुम्हारा ही सम्मान बढाया है, कही यह अभिषेक की शादी में निमंत्रण न पाने की खीझ तो नहीं , यह शादी अमिताभ की पारिवारिक शादी थी सार्वजनिक नहीं की हर ऐरे गैरे को पूछा जाए । अमिताभ बच्चन का विरोध करने वालो, कुर्सी के भूखों अमिताभ सी इज्ज़त पाने में तुम्हे न जाने कितने जन्म लेने पढेंगे शायद फिर भी अमिताभ न बन पाओ इसलिए अपनी हैसियत को पहचानिए और जो इस देश की परंपरा है उसका निर्वहन करे यानी अतिथि देवो भवो ।
जय हिंद जय भारत
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मरने के बाद भी हमको खूब सताया गया, मारा रिश्तों ने इल्जाम बीमारी पर लगाया गया। @Nadan 31 Aug 2022