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अप्रैल 5, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बहुमुखी प्रतिभा बनाम बहुसुखी प्रतिभा

मैं रफी साहब का गाना सुनने में पूरी तरह मग्न था तभी पास रखे मोबाईल ने आदत के अनुसार खलल पैदा की मैनें गाना रोककर बेचैनी प्रदाता यंत्र यानि मोबाईल की स्क्रीन पर लपलपा रहे अन्जान नम्बर को उठाने की चेष्टा से देखा तो नम्बर देखने से ही शातिराना  यानि वी0आई0पी0 लग रह था। मैनें फोन उठाकर बडे़ अदब से आदतनुसार नमस्कार सर जी बताईए क्या मदद कर सकता हॅू, फोन करने वाले ने बहुत ही कर्कश आवाज में जवाव दिया अरे वाह भाई साहब आप तो हमें पहले से ही जानते हैं जिसने भी आपके बारे में बताया था बिल्कुल सही बताया था कि आप जिससे एक बार मिलते हैं भूलते नही हैं, आपसे बात करके हमारी वाणी में भी मिठास आ गयी । मैं मन ही मन व्याकुल हो रहा था कि मैंने तो बस आदतन सम्मान के साथ बात की और यह साहब समझ रहे हैं कि मैं इन्हें जानता हूॅ, मै हैरान भी था यह सुनकर कि मेरे से बात करके इनकी वाणी में मिठास आ गयी, भैया मिठास ऐसी है तो कड़वाहट कैसी होगी।खैर उनकी आवाज ने फिर मेरा मुझे वापस उनकी ओर मुखातिब किया, वो बोले भैया हमारे नेता जी का एक इंटरव्यू ले लीजिए आप धन्य हो जाएंगे ऐसी बहुसुखी प्रतिभा आपने आज तक देखी नही होगी। मैंने कहा