बहुमुखी प्रतिभा बनाम बहुसुखी प्रतिभा

मैं रफी साहब का गाना सुनने में पूरी तरह मग्न था तभी पास रखे मोबाईल ने आदत के अनुसार खलल पैदा की मैनें गाना रोककर बेचैनी प्रदाता यंत्र यानि मोबाईल की स्क्रीन पर लपलपा रहे अन्जान नम्बर को उठाने की चेष्टा से देखा तो नम्बर देखने से ही शातिराना  यानि वी0आई0पी0 लग रह था। मैनें फोन उठाकर बडे़ अदब से आदतनुसार नमस्कार सर जी बताईए क्या मदद कर सकता हॅू, फोन करने वाले ने बहुत ही कर्कश आवाज में जवाव दिया अरे वाह भाई साहब आप तो हमें पहले से ही जानते हैं जिसने भी आपके बारे में बताया था बिल्कुल सही बताया था कि आप जिससे एक बार मिलते हैं भूलते नही हैं, आपसे बात करके हमारी वाणी में भी मिठास आ गयी । मैं मन ही मन व्याकुल हो रहा था कि मैंने तो बस आदतन सम्मान के साथ बात की और यह साहब समझ रहे हैं कि मैं इन्हें जानता हूॅ, मै हैरान भी था यह सुनकर कि मेरे से बात करके इनकी वाणी में मिठास आ गयी, भैया मिठास ऐसी है तो कड़वाहट कैसी होगी।खैर उनकी आवाज ने फिर मेरा मुझे वापस उनकी ओर मुखातिब किया, वो बोले भैया हमारे नेता जी का एक इंटरव्यू ले लीजिए आप धन्य हो जाएंगे ऐसी बहुसुखी प्रतिभा आपने आज तक देखी नही होगी। मैंने कहा भाई साहब सुधार कीजिए बहुसुखी नही बहुमुखी होती है प्रतिभा । वो बिना देर किए तपाक से बाले अरे नही भाई आप प्राचीनता को ही लेकर चल रहे हैं हमारे नेताजी बहुसुखी प्रतिभा के धनी हैं, शाम को आईए आपको मिलवाते हैं उनसे तब आप समझेंगे की वो क्या हैं बहुसुखी या बहुमुखी।
तय समय के अनुसार हम उनके बिना नक्शा पास कराए बने मकान पर पहुॅच गए, मेरा अन्दाज सही निकला अन्दर नक्शा पास करने वाली संस्था के कारिन्दे मौजूद थे, नेता जी बोले भाई देखो जैसा बन गया है वैसा ही नक्शा पास कर दो । जे0ई0 साहब बहुत ही मधुर आवाज में बोले सरजी  आपने दो फुट मकान सड़क पर बढ़ा लिया है यह बहुत ही दिक्कत वाला काम है। अरे भाई हमने मकान वाला मिस्त्री लगाया था तुम्हारी बनी सड़क इतनी जर्जर हो गयी थी कि उसे लगा कि यह जमीन है और उसने बना दिया मकान अब मिस्त्री कोई इंजीनियर तो होता नही, गाॅव का मिस्त्री था जो खेत में मकान बनाता है वहाॅ कोई जगह की दिक्कत है न ही नाप झोंक अब आपके शहर में तो एक एक इंच की चुरकटई हो रही है।
तभी उनके चेले ने मेरा परिचय कराया भैया यही हैं जन आवाज चैनल और अखबार के पत्रकार आपके इंटरव्यू के लिए बुलाया था। अरे बैठो भाई अखबार का नाम जन आवाज और हमें आज तक न छापे न दिखाए हमारी आवाज क्या हमारा सब कुछ जन का है और जन का सब कुछ हमारा है, अब देखिए यह जमीन खाली पड़ी थी यहॅा पर लोग कूड़ा फेकने लगे थे, आसपास के जनों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था, हमने जन के कष्ट को हर लिया, तुरन्त इस पर निर्माण करा लिया और लोगो ने कूड़ा फेकना बन्द कर दिया, अब जन को गन्दगी से निजात मिली।
मैने पूछा आप किस पार्टी से हैं नेताजी ने जवाब दिया हम बीएसपी से हैं, अच्छा बसपा से हैं, अरे नही भाई भासपा से हैं, मैं चैंका अरे नेता जी हमें पत्रकारिता करते करते   22 साल हो गए लेकिन इस पार्टी का नाम ही नही सुना। नेताजी हॅसते हुए बोले अरे भाई भारतीय सत्ता पार्टी से हैं हम जो भी पार्टी सत्ता में आती है हम उसी के हो जाते हैं लगभग तीस वर्ष से हम ऐसा कर रहे हैं। मैने अगला सवाल किया अब तक आपने कितने चुनाव जीते। अरे भाई क्या शमशान देखने के लिए मरना जरूरी है, नही न तो फिर राजनीति में रहने के लिए चुनाव लड़ना भी कोई जरूरी नही लोग बिना चुनाव लड़े प्रधानमंत्री बन चुके हैं और आप चुनाव के पीछे पड़े हैं, हम बस भारतीय सत्ता पार्टी ज्वाईन कर लेते हैं और जो चाहते हैं वो पा लेते हैं अरे हम सदन में बैठकर समय बर्बाद करने के पक्ष में नही हैं और आप मीडिया वाले मंत्रियों के पहले उठाते हैं और कहीं फॅस गया तो ऐसा लताड़ते हैं कि उसका राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक सब जीवन बर्बाद कर देते हैं।

ओहो नेता जी मैं समझ गया आप बहुसुखी प्रतिभा के धनी है, बहुमुखी प्रतिभा तो आपके सामने नतमस्तक है। जयहिन्द। 

@Mukesh Nadan

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