नादान की नादानी
नीचे जमीं ऊपर आसमान रहने दो, समझदार बनो तुम मुझे नादान रहने दो ।
मंगलवार, सितंबर 07, 2010
ईद मुबारक!
ख़ुदाया
बना
कोई
ऐसा
निज़ाम
,
जहाँ
सबकी
ख़ुशियों
का
हो
इंतज़ाम
।
रहे
गर
न
बाक़ी
कोई
बदनसीब
,
तो
हो
जाए
'
अनवार
'
अपनी
भी
ईद
।
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(शीर्षकहीन)
नादानी
ढॅूढतेे हो छायीं पेड़ को उखाड़कर, बने हैं कई मकान रिश्ते बिगाड़कर, तालीम भी तुमसे बदनाम हो गयी, पायी है डिग्री जो तुमने जुगाड़कर, ...
Marne ke baad sataya gaya
मरने के बाद भी हमको खूब सताया गया, मारा रिश्तों ने इल्जाम बीमारी पर लगाया गया। @Nadan 31 Aug 2022