नादान की नादानी
नीचे जमीं ऊपर आसमान रहने दो, समझदार बनो तुम मुझे नादान रहने दो ।
सोमवार, मई 23, 2011
शुक्र है तेरा प्रभु जो तुने सब कुछ दिया मुझे..................
ईश्वर की कृपा से ही यह दिन किसी किसी की ज़िन्दगी में आता है, मेरी भी ज़िन्दगी में आया २१ मई २०११ रविवार जब मेहनतका इनाम मिला और शहर के सभी समाचार पत्रों ने इस तस्वीर को जगह दी जिसमे बांये से दुसरे स्थान पर टाई में है मुकेश 'नादान'
जहाँ चाह वहां राह ...................
दिनाक २१ मई २०११ को आयोजित दीक्षांत समारोह को लखनऊ के पेपरों ने भी जगह दी बांये से दुसरे स्थान पर नीली कमीज और लाल टाई में मुकेश 'नादान'
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(शीर्षकहीन)
नादानी
ढॅूढतेे हो छायीं पेड़ को उखाड़कर, बने हैं कई मकान रिश्ते बिगाड़कर, तालीम भी तुमसे बदनाम हो गयी, पायी है डिग्री जो तुमने जुगाड़कर, ...
Marne ke baad sataya gaya
मरने के बाद भी हमको खूब सताया गया, मारा रिश्तों ने इल्जाम बीमारी पर लगाया गया। @Nadan 31 Aug 2022