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लालफीताशाही के फेर

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सेवा में , माननीय मंत्री जी मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार , नई दिल्ली महोदय , सादर प्रणाम , माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान से प्रेरित होकर , लखनऊ की एक गरीब बच्ची साक्षी पुत्री श्री प्रेम लाल का कक्षा प्रथम में प्रवेश हेतु  फार्म केन्द्रीय विद्यालय लखनऊ में भरवाया था । गरीब , अनुसूचित जाति एंव बेटी होने के बावजूद साक्षी का प्रवेश राईट टू एजूकेशन की कैटेगरी मे नही हो सका। इसके बाद मैंने स्थानीय स्तर पर सकारात्मक सहयोग न मिलने के कारण इस बच्ची की फीस माफी हेतु माननीय प्रधानमंत्री जी तक निवेदन पहुंचाने के लिए  पीजी पोर्टल पर निवेदन किया जिसका सन्दर्भ नम्बर Grievance Status for registration number : PMOPG/E/2016/0175016 Date of Receipt 25/05/2016 Received By Ministry/Department Prime Ministers Office था। महोदय , बहुत ही अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि केन्द्रीय विद्यालय के जिम्मेदारों ने माननीय प्रधानमंत्री जी से किए गए इस विशेष निवेदन को लालफीताशाही के फेर में डालकर नकारात्मक रूप से  प्रधानाचार्य ने इस जवाब के साथ कि आरटीई

लघुकथा.......नजरिया बदलो

अचानक शुरू हुई तेज बरसात से बचने के लिएा तमाम राहगीर एक बड़े से पीपल के पेड़ के नीचे खड़े हो गए, पेड़ बहुत विशाल और पुराना था उसकी जड़ में एक चबूतरा भी बना था जिस पर लोगों ने कई भगवानो की मूर्तियाॅ भी रख दी थी। बरसात रूकते ही सब लोग पुनः अपनी राह पर चलने के लिए पेड़ के साए से निकलने लगे। बरसात में रूके एक बुजुर्ग अपने साथ खड़े एक छोटे बच्चे का हाथ पकड़ते हुए चबूतरे पर रखे भगवानों के हाथ जोड़ते हुए निकलने लगे। बुजुर्ग के हाथ जोड़ने के कार्य को देख बच्चे को उत्सुकता हुई और उसने प्रश्न किया दादाजी आपने उन मूर्तियों को हाथ क्यों जोड़ा । ‘ बेटा जो मुसीबत में आपका साथ दे हाथ जोड़कर उसका शुक्रिया अदा करना चाहिए, ऐसा हमारे धर्म में कहा गया है।’ बुजुर्ग ने बच्चे को जवाब दिया। बच्चे ने फिर सवाल किया ‘पर अपने धर्म में तो मूर्ति पूजा करना मना है, फिर आपने मूर्तियों के हाथ क्यों जोड़े।’ ‘बेटा हमारे धर्म में मूर्ति पूजा करना मना है लेकिन किसी दूसरे धर्म के भगवान का सम्मान करना थोड़ी मना है और अगर तुम्हें लग रहा है कि मैंने मूर्तियों को हाथ जोड़ा तो तुम अपना नजरिया बदल लो।’ बुजुर्ग ने कहा। बच्चे ने पूछा ‘