लघुकथा.......नजरिया बदलो


अचानक शुरू हुई तेज बरसात से बचने के लिएा तमाम राहगीर एक बड़े से पीपल के पेड़ के नीचे खड़े हो गए, पेड़ बहुत विशाल और पुराना था उसकी जड़ में एक चबूतरा भी बना था जिस पर लोगों ने कई भगवानो की मूर्तियाॅ भी रख दी थी। बरसात रूकते ही सब लोग पुनः अपनी राह पर चलने के लिए पेड़ के साए से निकलने लगे। बरसात में रूके एक बुजुर्ग अपने साथ खड़े एक छोटे बच्चे का हाथ पकड़ते हुए चबूतरे पर रखे भगवानों के हाथ जोड़ते हुए निकलने लगे। बुजुर्ग के हाथ जोड़ने के कार्य को देख बच्चे को उत्सुकता हुई और उसने प्रश्न किया दादाजी आपने उन मूर्तियों को हाथ क्यों जोड़ा । ‘ बेटा जो मुसीबत में आपका साथ दे हाथ जोड़कर उसका शुक्रिया अदा करना चाहिए, ऐसा हमारे धर्म में कहा गया है।’ बुजुर्ग ने बच्चे को जवाब दिया। बच्चे ने फिर सवाल किया ‘पर अपने धर्म में तो मूर्ति पूजा करना मना है, फिर आपने मूर्तियों के हाथ क्यों जोड़े।’
‘बेटा हमारे धर्म में मूर्ति पूजा करना मना है लेकिन किसी दूसरे धर्म के भगवान का सम्मान करना थोड़ी मना है और अगर तुम्हें लग रहा है कि मैंने मूर्तियों को हाथ जोड़ा तो तुम अपना नजरिया बदल लो।’ बुजुर्ग ने कहा।
बच्चे ने पूछा ‘वो कैसे‘ ?
बजुर्ग ने कहा ‘जब तेज बारिश हो रही थी तो हम बचने के लिए कहाॅ रूके थे’ ? बच्चे ने कहा पीपल के नीचे ।
बजुर्ग ‘ तो बेटा क्या हमें पीपल का शुक्रिया अदा नही करना चाहिए ? करना चाहिए बच्चे ने कहा। तो बेटा समझ लो मैं पीपल के पेड़ को हाथ जोड़कर शुक्रिया किया।
बच्चे ने कहा ‘अच्छा दादाजी मैं समझ गया, हमें सबका सम्मान करना है अगर कहीं धार्मिक पक्ष आड़े आ रहा है तो हमें अपना नजरिया बदल लेना चाहिए।‘
बजुर्ग ने कहा ‘ हाॅ सलीम बेटा। दोनो आपस में बात करते हुए अपनी राह पर चल दिए।

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