रविवार, फ़रवरी 28, 2010
कैसी होली
न वो गले मिलना न वो प्यार दिखाई देता है
शहर में है दोस्त पर मोबाइल पर बधाई देता है
छीन लिया है बचपन कॉपी और किताबों ने
बच्चों के मुह से हैप्पी होली सुनायी देता है............
शहर में है दोस्त पर मोबाइल पर बधाई देता है
छीन लिया है बचपन कॉपी और किताबों ने
बच्चों के मुह से हैप्पी होली सुनायी देता है............
कानून किसके लिए
रोज ऑफिस जाते समय देखता हूँ और सोचता हूँ कि भगवान ने अपनी तरफ से किसी से भेदभाव नहीं किया लेकिन उसके बन्दों ने बिना भेदभाव के कोई काम नहीं किया, हर तरफ पॉवर और पैसे का खेल चल रहा है, दरोगा जी अकेले जाते लड़के को रोकते है हेलमेट लगाये रहने के बावजूद कागज की मांग जो थे उनसे काम नहीं चला जो नहीं थे उसकी मांग की गयी अंत में सौदा ले दे वाली प्रक्रिया से गुजरता हुआ लड़का मुक्त होकर विजयी महसूस करता है उधर दरोगा जी शायद कुछ इतना पा गए थे जो वर्दी पर दाग लगाने के लिए काफी था । ठीक उसी समय एक गाडी पर तीन पुलिस के जवान आते है दरोगा जी के पास गाड़ी रोकते है , हाथ मिलाकर तीनो आगे बढ़ जाते है, पर दरोगा को साथियों की गैर कानूनी हरकत दिखाई नहीं देती, सच है देश में सभी कानूनों का पालन करने और मानने का जिम्मा आम आदमी पर ही है, ख़ास भले ही वोह किसी अधिकारी का चपरासी हो लेकिन अपने खास की श्रेणी में रखकर देश के किसी भी कानून को जब चाहे तब तोड़ने के पूर्ण रूप से स्वतंत्र है ।
जय हिंद
किस्मत
हम जमी तुम आसमान हो गए
एक दूजे से कितने अनजान हो गए
बी ऐ करके हम सरकारी बाबु बने
तुम अनपढ़,मंत्री बन महान हो गए ........
उम्र गुज़र गयी मेरी किरायेदारी में
कैसे तुम्हारे अपने मकान हो गए
जिस गाँव की मिटटी ने पाला है तुमको
क्यों शहर आकर उससे अनजान हो गए ..........
क्यों न डरे भूत अब इंसानों से
शहर के बीच अब शमशान हो गए...............
लगता है क़यामत आने वाली है
पुजारी की गिरफ्त भगवान हो गए..........
अब इंसानों की हिफाज़त हो कैसे
खुद मंदिर से चोरी भगवान हो गए............
नादान बेगुनाह साबित न हो सका
गवाह दौलत के आगे बेजुबान हो गए.........................
एक दूजे से कितने अनजान हो गए
बी ऐ करके हम सरकारी बाबु बने
तुम अनपढ़,मंत्री बन महान हो गए ........
उम्र गुज़र गयी मेरी किरायेदारी में
कैसे तुम्हारे अपने मकान हो गए
जिस गाँव की मिटटी ने पाला है तुमको
क्यों शहर आकर उससे अनजान हो गए ..........
क्यों न डरे भूत अब इंसानों से
शहर के बीच अब शमशान हो गए...............
लगता है क़यामत आने वाली है
पुजारी की गिरफ्त भगवान हो गए..........
अब इंसानों की हिफाज़त हो कैसे
खुद मंदिर से चोरी भगवान हो गए............
नादान बेगुनाह साबित न हो सका
गवाह दौलत के आगे बेजुबान हो गए.........................
सदस्यता लें
संदेश (Atom)

-
गुनाह कुछ ऐसा किया है मैंने दोस्त नाम दुश्मन को दिया है मैंने खुद और खुदा की पहचान सिर्फ जिंदगी को अकेले ही जिया है मैंने .........दोस्त मेर...
-
ढॅूढतेे हो छायीं पेड़ को उखाड़कर, बने हैं कई मकान रिश्ते बिगाड़कर, तालीम भी तुमसे बदनाम हो गयी, पायी है डिग्री जो तुमने जुगाड़कर, ...