नादान की नादानी
नीचे जमीं ऊपर आसमान रहने दो, समझदार बनो तुम मुझे नादान रहने दो ।
रविवार, फ़रवरी 28, 2010
तस्वीर का राज
तेरी तस्वीर को लगा के रखता हूँ सीने से
क्योंकि कलेजा हो गया छलनी सुबह शाम पीने
से
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