नादान की नादानी
नीचे जमीं ऊपर आसमान रहने दो, समझदार बनो तुम मुझे नादान रहने दो ।
शनिवार, दिसंबर 09, 2017
beti ka baap
दाने दाने
को
मोहताज़ है
इमानदार बनकर
बेईमान जी रहा है दुनिया में
शानदार बनकर
अंदर से मर चुका है बाप बेटी का
स्वागत कर रहा है बरात का
जानदार बनकर
इस कविता के लिए मिला सम्मान दिनांक ०९ दिसम्बर २०१७
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