रविवार, अगस्त 22, 2010


पैसे की खातिर ईमान बेच देंगे
पहले जमी फिर आसमान बेच देंगे
तालीम की कीमत पर घर न सजाना
वर्ना बाद तेरे बच्चे सब सामान बेच देंगे
ए कलम के सिपाहियों जागते रहना
ये जनता के सेवक हिंदुस्तान बेच देंगे
ए खुदा आज ही दे दे मौत मुझको
कल समाज के ठेकेदार शमशान बेच देंगे

2 टिप्‍पणियां:

  1. सहमत है कवि से और आपकी चिंताओं से व्‍यथित भी.

    :) नादान भाई मौत मांगने की नादानी अच्‍छी नहीं.

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