किसी मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, जीना इसी का नाम है.......गायक मुकेश

Shri Amit Kumar Mishra, IDES, CEO, Cantt Board, Lucknow


रोता रहेगा दिल मेरा चैन से सो भी न पाऊॅगा,
मेरे दायरे मे कोई भूखा हो तो मैं कैसे खाऊॅगा।
                                                      नादान

मेरे द्वारा लिखी गयी उपरोक्त पंक्तियाॅ सफेद कमीज में मुस्कुराते हुए हरदिल अजीज अधिकारी जोकि दूसरी तस्वीर में काली कैप और काले अपर पहने रोटी बेलते हुए महोदय पर सटीक बैठ रही है, यह तस्वीर है लखनऊ कैन्ट के सदर बाजार की जहाॅ पर भोजन बैंक में खाना तैयार हो रहा है, रोटी बेलते हुए साहब हैं श्री अमित कुमार मिश्रा जी, आई0डी0ई0एस0, सीईओ, छावनी परिषद, लखनऊ।
01.
लाॅकडाउन के कारण क्षेत्रीय एंव आसपास के जरूरतमन्दों के साथ साथ छोटे और खुदरा काम करने वाले कामगारों को स्वंय के सहयोग से लगातार भोजन उपलब्ध कराने के निःस्वार्थ भाव से भोजन बैंक की स्थापना की शुरूआत की उपाध्यक्ष आदरणीय रूपा देवी जी ने और सहयोग दिया श्री रतन सिंघानिया जी, पूर्व उपाध्यक्ष, श्री अशफाक कुरैशी जी, पूर्व मा0 सदस्य, श्रीमती रीना सिंघानिया जी,मा0 सदस्य, श्री संजय दयाल वैश्य जी,मा0 सदस्य,  श्री अमित शुक्ला जी,मा0 सदस्य,  श्रीमती स्वाति यादव जी, मा0 सदस्य एंव श्री विकास यादव जी, समाजसेवी, इसके अतिरिक्त भोजन बैंक के संचालन में तमाम कारीगर और लेबर निःशुल्क सेवा दे रहे हैं ।
02.
इस भोजन बैंक को संचालित करने में श्री अमित कुमार मिश्रा जी, सीईओ छावनी परिषद, लखनऊ ने प्रशासनिक, आर्थिक, सामाजिक, मानसिक, शारीरिक, भौतिक,आत्मिक सभी प्रकार का सहयोग प्रदान करके वास्तविक मानवीय सेवा का श्रेष्ठतम उदाहरण प्रस्तुत किया है। यदि हर व्यक्ति में भोजन बैंक संचालित करने वाले आदरणीयों सी सोच आ जाए तोे शायद देश में भूख से कोई मौत नही होगी।
03.
मानव कल्याण की इस अनुपम  सेवा के लिए मुझ जैसे करोड़ो लोग आपको समय समय पर याद करेंगे और जब कभी मानवता की बात चलेगी तो  आप सभी का नाम सबसे प्रथम पंक्ति में लिखा और सम्बोधित किया जाएगा।
सादर सहित। मुकेश नादान 11 अप्रैल 2020

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

लघुकथा ----- Personal Vs Professional