सुस्ती बनी चुस्ती

आप बीतीः लगभग एक सप्ताह से सवेरे सोकर उठने के बाद सुस्ती सी लगती थी, नींद भी पूरी ले रहा था हाॅ रात में सोने मे देर हो रही थी पढ़ने लिखने की आदत के कारण कभी किताबों से कभी कम्प्यूटर से ज्ञान समेटने के कारण समय से खुद को बिस्तर पर फैलाने में थोड़ी देर हो रही थी, चंचल मन ने सुस्ती का इल्जाम इन्हीं ज्ञान समेटने वाली विधाओं को देकर खुद को निर्दोष साबित कर दिया।
आज सवेरे उठने के लगभग एक घन्टे के बाद चित्त में ताजगी का जो संचार महसूस हुआ उसे शब्दों में बयान नही कर सकता बस आप महसूस कर सकते हैं, यह चमत्कार हुआ सवेरे डिजीटल पेपर पढ़ते पढ़ते रफी साहब, मुकेश साहब, लता जी, मो0अजीज जी, लक्ष्मीप्यारे जी, राजा मेहन्दी अली खाॅ जी के कुछ गााने सुनने के बाद। अब समझ में आया कि सुस्ती का कारण शारीरिक नही मानसिक था जो मनपसन्द गाने सुनकर चुस्ती में तब्दील हो गयी।

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