राजा और रंक सब कैद कोरोना में....................

करता तो वो मजदूरी का काम है,
सुना है  पास उसके  डिग्री तमाम है...

हैराॅ हुआ देखकर गरीबों की फेहरिस्त,
गरीबे को छोड़, पूरे मोहल्ले का नाम है...

अमीरों के माॅ बाप नौकरों के हवाले,
ऐ गरीबों के बच्चों तुमको सलाम है...

हो गए बदनाम मन्दिर ओ मस्जिद,
जुबाॅ इंसान की कितनी बेलगाम है...

अपनों की तहरीर पर लिखा मुकदमा,
पुलिस तो बेचारी मुफ्त में बदनाम है...

राजा और रंक सब कैद कोरोना में,
आदमी कुछ नही वक्त का गुलाम है...

मैं पड़ता नही जाति धर्म के चक्कर में,
हिन्दू को नमस्ते, मुस्लिम को सलाम है...

लड़का बिकाऊ है बाप बेच रहा है,
शादी के नाम पर, दस लाख दाम है...

बच्चो ने कर लिया कमरों में कब्जा,
बाप है बाहर, मकान जिसके नाम है...

ये मोहब्बत भी क्या चीज है नादान,
ना उनको सुकून न हमको आराम है।

नादान

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

लघुकथा ----- Personal Vs Professional