Rishte Bigadkar..................
ढॅूढ रहा है छायीं पेड़ों को उखाड़कर,
इन्सान मकान बना रहा रिश्ते बिगाड़कर,
तालीम भी तुमसे बदनाम हो रही है,
पा ली है मियॉ तुमने डिग्री जुगाड़कर,
कोई देख भी ले तो शर्मिन्दा न हो,
इन्सान होकर बस इतनी तो आड़कर,
बढ़ा रही है जो नफरतें इन्सान में,
खत्म कर दो उन किताबों को फाड़कर,
जिसके लिए है नादान उसके नाम कीजिए
रखकर परदे में ना हुस्न को कबाड़कर।
@Nadan
31st Aug 2022 Wednesday
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