आज ०१ अक्टूबर २००९ को आपका दोस्त मुकेश नदान
गिरते को उठाया जाए तो अच्छा
भूखे को खिलाया जाए तो अच्छा
न तेरा न मेरा रहे इस ज़माने में
प्यार सब पर लुटाया जाए तो अच्छा
क्या मन्दिर क्या मस्जिद जाना
माँ के पैरो में शीश झुकाया जाए तो अच्छा
इंसानियत को इस कदर न मिटाइए
नफरत दिलों से मिटाया जाए तो अच्छा
अपनों पर तो सब ही लुटाते है
प्यार गैरों पर लुटाया जाए तो अच्छा
भूखे को खिलाया जाए तो अच्छा
न तेरा न मेरा रहे इस ज़माने में
प्यार सब पर लुटाया जाए तो अच्छा
क्या मन्दिर क्या मस्जिद जाना
माँ के पैरो में शीश झुकाया जाए तो अच्छा
इंसानियत को इस कदर न मिटाइए
नफरत दिलों से मिटाया जाए तो अच्छा
अपनों पर तो सब ही लुटाते है
प्यार गैरों पर लुटाया जाए तो अच्छा
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