नादान की नादानी
नीचे जमीं ऊपर आसमान रहने दो, समझदार बनो तुम मुझे नादान रहने दो ।
गुरुवार, मार्च 11, 2010
देश
को
आगे
ले
जाने
के
लिए
देश
के
हर
व्यक्ति
को
चाहे
वोह
भी
किसी
रुतबे
पर
क्यों
न
हो
इन
शब्दों
का
पालन
करना
चाहिए
.........आप से नादान की यही गुज़ारिश है ......
जय
हिंद
.....
जय
भारत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
जज्बात
गुनाह कुछ ऐसा किया है मैंने दोस्त नाम दुश्मन को दिया है मैंने खुद और खुदा की पहचान सिर्फ जिंदगी को अकेले ही जिया है मैंने .........दोस्त मेर...
नादानी
ढॅूढतेे हो छायीं पेड़ को उखाड़कर, बने हैं कई मकान रिश्ते बिगाड़कर, तालीम भी तुमसे बदनाम हो गयी, पायी है डिग्री जो तुमने जुगाड़कर, ...
(शीर्षकहीन)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें