नादान की नादानी
नीचे जमीं ऊपर आसमान रहने दो, समझदार बनो तुम मुझे नादान रहने दो ।
गुरुवार, मार्च 11, 2010
कुछ जुदा जुदा मेरे हुज़ूर नज़र आते है
क्या बात है चश्मे बद्दूर नज़र आते है
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