नीचे जमीं ऊपर आसमान रहने दो,
समझदार बनो तुम मुझे नादान रहने दो ।
बुधवार, मार्च 17, 2010
दिनाक १७.०३.२०१० जनाब जहीर जी पुराने साथी के साथ यादव जी, रस्तोगी जी, वैदयानाथान जी, प्रवीण जी , उदय राज जी, कौशल जी और उमेश प्रसाद जी इस चित्र को संजोया मुकेश "नादान" ने
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें