गरीब था हर शख्स
पर सच्चा था
आज के ज़माने से
वो जमाना अच्छा था
अब तो अपने भी
इज्ज़त करना भूल गए
उस वक़्त इज्ज़त देता
मोहल्ले का हर बच्चा था ..............आज के ज़माने से
पक्का हुआ मकान जब से
जेब खाली हो गई
दो चार हज़ार पास थे
जब घर अपना कच्चा था ...........आज के ज़माने से
शुक्रवार, सितंबर 17, 2010
रविवार, सितंबर 12, 2010
यह दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे
बचपन की दोस्ती
मंगलवार, सितंबर 07, 2010
ईद मुबारक!
शनिवार, सितंबर 04, 2010
सारे जहाँ से अच्छा से हिंदुस्तान हमारा
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गुनाह कुछ ऐसा किया है मैंने दोस्त नाम दुश्मन को दिया है मैंने खुद और खुदा की पहचान सिर्फ जिंदगी को अकेले ही जिया है मैंने .........दोस्त मेर...
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