
ख़ुदाया बना कोई ऐसा निज़ाम,
जहाँ सबकी ख़ुशियों का हो इंतज़ाम।
रहे गर न बाक़ी कोई बदनसीब,
तो हो जाए 'अनवार' अपनी भी ईद।
जिन्दगी जीने को एक फसाना होना चाहिए रिश्तों में नादान रूठना और मनाना चाहिए परिन्दे भी घोसला छोड़ देते हैं दाना चुगने के लिए अपने लिए रोटी ...
anwar bhai, eid bahut bahut mubaraq ho, aap jaisi meri bhi bandgi hai khuda se ki sab ko khushiyan bakshe taaki gam ka naam zamane me na ho.
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