नादान की नादानी
नीचे जमीं ऊपर आसमान रहने दो, समझदार बनो तुम मुझे नादान रहने दो ।
शनिवार, मई 21, 2011
मेरे दिल ने चाह मिल गया.......................
२१ मई २०११ को इग्नू के २३वे दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिए तैयार मुकेश 'नादान'
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(शीर्षकहीन)
नादानी
ढॅूढतेे हो छायीं पेड़ को उखाड़कर, बने हैं कई मकान रिश्ते बिगाड़कर, तालीम भी तुमसे बदनाम हो गयी, पायी है डिग्री जो तुमने जुगाड़कर, ...
Marne ke baad sataya gaya
मरने के बाद भी हमको खूब सताया गया, मारा रिश्तों ने इल्जाम बीमारी पर लगाया गया। @Nadan 31 Aug 2022
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