हमारा भी बदन दुखता है.................................................
सो गए शांतिलाल, अचानक आयी इस आवाज ने शांतिलाल को नींद के बाॅर्डर से वापस बुला लिया, शांतिलाल ’बोले कौन है’ ?
आवाज फिर आयी- हम हैं शांतिलाल ।
शांतिलाल- अरे हम कौन कोई नाम है तुम्हारा कि नही।
उत्तर मिला- गजब आदमी हो शांतिलाल तुम हमारी आवाज भी नही पहचानते, सारा दिन पैरों से रौंदते हो और आवाज भी नही पहचानते।
शांतिलाल बेचैन होकर उठ गए दरवाजा खोला बाहर झाॅका इधर उधर देखा कोई नही था। दरवाजा बन्द करके खटिया पर आकर बैठ गए।
आवाज फिर आयी- शांतिलाल बोलते क्यों नही ?
शांतिलाल - अरे यार कौन हो सामने क्यों नही आते, क्या भूत प्रेतों के खानदान से हो।
’इधर देखो शांतिलाल’ आवाज फिर आयी।
शांतिलाल टिमटिमाते जीरो वाट के नाईट बल्ब की हल्की रोशनी में भारी मन की तेज आॅखों से आवाज को तलाश करने लगे।
आवाज को एहसास हो गया कि शांतिलाल सर्च मोड में हैं, शांतिलाल को ज्यादा मेहनत न करना पडे़ इसलिए उनकी मदद के लिए आवाज ने फिर पुकारा इधर देखो शांतिलाल इधर। आवाज की दिशा में देखते ही शांतिलाल चैंक गए और खड़े हो गए और 4जी की स्पीड से बोलने लगे अबे तू भी बोलने लगा होश मे तो है, औकात से बाहर आने पर तुझे डर नही लगा अबे अपने दायरे में रहे अपना काम कर फालतू लफड़े में क्यों पड़ रहा है।
हाॅ शांतिलाल मैं तुमसे इसी विषय पर बात करना चाहता हॅू तुम भी अपने दायरे में रहो अपना काम करो फालतू लफड़े में क्यों पड़ते हो।
शांतिलाल- अबे मैंने क्या बिगाड़ा तेरा जो तुझे मुझे उपदेश दे रहा है।
उत्तर मिला शांतिलाल हमारा जो काम है हमसे वही लिया करो, एक के साथ एक मुफ्त वाली योजना हम पर लागू नही होती है और सुनो हम सदियों से रक्षा करने के लिए जाने जाते हैं न कि हमला करने के लिए हम अहिंसा के पुजारी हैं, तुम अपनी हिंसा में हमें भागीदार मत बनाओ वरना बुरा हो जाएगा। तुम इंसानों ने हमारा जितना उत्पीड़न किया है उतना किसी का नही किया, फिर भी हम तुम्हारी सेवा में लगे हैं।
अबे तेरे ऊपर पैसा खर्च किया है’ शांतिलाल का गुस्सा चरम पर था।
हाॅ पैसा खर्चा किया है जिस काम के लिए वही काम लिया करो वरना तुम्हारे पैरों में काटना शुरू कर दूॅगा तो समझ में आ जाएगी मेरी ताकत क्या है।
शांतिलाल- अरे मुझे उलझाओ नही यह बताओ की तुम चाहते क्या हो ?
अब आए मुद्दे की बात पर, ध्यान से सुनों शांतिलाल तुम आजकल गुस्से में बहुत रहते हो। बिना सोचे समझे बेटों को मारने लगते हो, तुम्हारे आपसी झगड़े में हमें शर्मिन्दा होना पड़ता है, तुम्हारे इस लफडे़ की वजह से मेरे पूरे बदन में दर्द हो रहा है, इसलिए माफी चाहता हूॅ , अपने गृहयुद्व में हमको शांमिल मत करो। अपनी लड़ाई अपने आप लड़ो ठीक है।
शांतिलाल- अरे यार मैं अपने बेटों का मारूं दुत्कारूं तुमसे क्या मतलब। तुम जूते हो जूते की तरह रहो।
जूता बोला- शांतिलाल तुम हमें पैरों के लिए लाए थे, हाथों के लिए नही, मारने के लिए लाठी डंडा आती है वो खरीदो पर तुम ठहरे महा कंजूस, हमें खरीदा था पहनने के लिए और हमे हथियारों की तरह इस्तेमाल कर रहे हो, तुम बेटों को मारने के लिए हमारा इस्तेमाल करते हो, गुस्से में भी कहते हो जूता मारूॅगा, कुत्ता बिल्ली दिख जाए तो भी चिल्लाते हो मार जूता फेक के। हद है जब देखो हमारा दुरूपयोग करते हो।
शांतिलाल- अरे तुम्हें क्या इससे चोट तो मेरे बेटों को लगती है, विरोध तो उनको करना चाहिए।
तभी दूसरे पैर का जूता बोल पड़ा- अरे यार यह महाकंजूस है, तुम्हें याद है जब यह अपने एक सहयोगी की शादी में गया था, हमें पहनकर हम कितने खुश थे कि अपने तमाम महॅगे सस्ते ब्रांड वाले साथियों से मिलेंगे, लेकिन इन भाई साहब ने खाना खाया और हमें तकिया की तरह इस्तेमाल किया जबकि ज्यादातर लोगो ने वहाॅ हवा वाला तकिया खरीद लिया था।
शांतिलाल- चुपकर तू, शादी ब्याह में जूते चोरी हो जाते हैं इसलिए मैने सिरहाने रख लिए था तुझे, तेरी तो शान बढ़ायी मैनें सर के नीचे रखकर तेरी जगह तो पैरों मे है।
जूता- हाॅ मैं यही बताना चाहता हॅू कि मेरी जगह पैरों में हैं वहीं रहने दो, हमें मारपीट में इस्तेमाल मत किया करो , बदन दुखता है हमारा, कभी सोचा है इस बारे में, तुमने तो हाथ में उठायी और दे दनादन दे दनादन, जिसको मारते हो उसका तो इलाज करा देते हो, पर हमें कभी पूछा है, और दे दनादन दे दनादन के बाद तुरन्त पैरों में पहने लेते हो सौ किलो का वजन रख चल पड़ते हो यह भी नही सोचते की इस्तेमाल के बाद हमें भी थोड़ी देर आराम दे दो।
शांतिलाल- अबे तुम तो ऐसी बात कर रहे हो जैसे तुम्हारा बहुत बड़ा अपमान कर दिया मैनें।
जूता- अरे हमारा क्या अपमान होगा, जूते हैं जूते रहेगें, हम तो समझा रहे हैं कि हमारे चक्कर में अपनी इज्जत कम मत करो वरना रह जाओगे तरसते हुए।
शांतिलाल- मैं समझा नही। काहे को तरसते हुए ।
जूता- अरे भाई बेटों को मारते हो, अगर बेटे गुस्सा हो गए तो समझ लेना सोशल मीडिया पर फोटो नही डालेंगे तुम्हारी, तुम्हारा फादर डे बिना नेटवर्क के मोबाईल जैसा गुजरेगा। समझे।
शांतिलाल कुछ कह पाते इससे पहले उनकी पत्नी ने हिलाकर उठाया चलिए उठिए चाय पी लीजिए सवेरा हो गया।
शांतिलाल नींद से जाग गए और सपना टूट गया ध्यान से देखा जूते खामोश अपने स्थान पर रखे थे ।
आवाज फिर आयी- हम हैं शांतिलाल ।
शांतिलाल- अरे हम कौन कोई नाम है तुम्हारा कि नही।
उत्तर मिला- गजब आदमी हो शांतिलाल तुम हमारी आवाज भी नही पहचानते, सारा दिन पैरों से रौंदते हो और आवाज भी नही पहचानते।
शांतिलाल बेचैन होकर उठ गए दरवाजा खोला बाहर झाॅका इधर उधर देखा कोई नही था। दरवाजा बन्द करके खटिया पर आकर बैठ गए।
आवाज फिर आयी- शांतिलाल बोलते क्यों नही ?
शांतिलाल - अरे यार कौन हो सामने क्यों नही आते, क्या भूत प्रेतों के खानदान से हो।
’इधर देखो शांतिलाल’ आवाज फिर आयी।
शांतिलाल टिमटिमाते जीरो वाट के नाईट बल्ब की हल्की रोशनी में भारी मन की तेज आॅखों से आवाज को तलाश करने लगे।
आवाज को एहसास हो गया कि शांतिलाल सर्च मोड में हैं, शांतिलाल को ज्यादा मेहनत न करना पडे़ इसलिए उनकी मदद के लिए आवाज ने फिर पुकारा इधर देखो शांतिलाल इधर। आवाज की दिशा में देखते ही शांतिलाल चैंक गए और खड़े हो गए और 4जी की स्पीड से बोलने लगे अबे तू भी बोलने लगा होश मे तो है, औकात से बाहर आने पर तुझे डर नही लगा अबे अपने दायरे में रहे अपना काम कर फालतू लफड़े में क्यों पड़ रहा है।
हाॅ शांतिलाल मैं तुमसे इसी विषय पर बात करना चाहता हॅू तुम भी अपने दायरे में रहो अपना काम करो फालतू लफड़े में क्यों पड़ते हो।
शांतिलाल- अबे मैंने क्या बिगाड़ा तेरा जो तुझे मुझे उपदेश दे रहा है।
उत्तर मिला शांतिलाल हमारा जो काम है हमसे वही लिया करो, एक के साथ एक मुफ्त वाली योजना हम पर लागू नही होती है और सुनो हम सदियों से रक्षा करने के लिए जाने जाते हैं न कि हमला करने के लिए हम अहिंसा के पुजारी हैं, तुम अपनी हिंसा में हमें भागीदार मत बनाओ वरना बुरा हो जाएगा। तुम इंसानों ने हमारा जितना उत्पीड़न किया है उतना किसी का नही किया, फिर भी हम तुम्हारी सेवा में लगे हैं।
अबे तेरे ऊपर पैसा खर्च किया है’ शांतिलाल का गुस्सा चरम पर था।
हाॅ पैसा खर्चा किया है जिस काम के लिए वही काम लिया करो वरना तुम्हारे पैरों में काटना शुरू कर दूॅगा तो समझ में आ जाएगी मेरी ताकत क्या है।
शांतिलाल- अरे मुझे उलझाओ नही यह बताओ की तुम चाहते क्या हो ?
अब आए मुद्दे की बात पर, ध्यान से सुनों शांतिलाल तुम आजकल गुस्से में बहुत रहते हो। बिना सोचे समझे बेटों को मारने लगते हो, तुम्हारे आपसी झगड़े में हमें शर्मिन्दा होना पड़ता है, तुम्हारे इस लफडे़ की वजह से मेरे पूरे बदन में दर्द हो रहा है, इसलिए माफी चाहता हूॅ , अपने गृहयुद्व में हमको शांमिल मत करो। अपनी लड़ाई अपने आप लड़ो ठीक है।
शांतिलाल- अरे यार मैं अपने बेटों का मारूं दुत्कारूं तुमसे क्या मतलब। तुम जूते हो जूते की तरह रहो।
जूता बोला- शांतिलाल तुम हमें पैरों के लिए लाए थे, हाथों के लिए नही, मारने के लिए लाठी डंडा आती है वो खरीदो पर तुम ठहरे महा कंजूस, हमें खरीदा था पहनने के लिए और हमे हथियारों की तरह इस्तेमाल कर रहे हो, तुम बेटों को मारने के लिए हमारा इस्तेमाल करते हो, गुस्से में भी कहते हो जूता मारूॅगा, कुत्ता बिल्ली दिख जाए तो भी चिल्लाते हो मार जूता फेक के। हद है जब देखो हमारा दुरूपयोग करते हो।
शांतिलाल- अरे तुम्हें क्या इससे चोट तो मेरे बेटों को लगती है, विरोध तो उनको करना चाहिए।
तभी दूसरे पैर का जूता बोल पड़ा- अरे यार यह महाकंजूस है, तुम्हें याद है जब यह अपने एक सहयोगी की शादी में गया था, हमें पहनकर हम कितने खुश थे कि अपने तमाम महॅगे सस्ते ब्रांड वाले साथियों से मिलेंगे, लेकिन इन भाई साहब ने खाना खाया और हमें तकिया की तरह इस्तेमाल किया जबकि ज्यादातर लोगो ने वहाॅ हवा वाला तकिया खरीद लिया था।
शांतिलाल- चुपकर तू, शादी ब्याह में जूते चोरी हो जाते हैं इसलिए मैने सिरहाने रख लिए था तुझे, तेरी तो शान बढ़ायी मैनें सर के नीचे रखकर तेरी जगह तो पैरों मे है।
जूता- हाॅ मैं यही बताना चाहता हॅू कि मेरी जगह पैरों में हैं वहीं रहने दो, हमें मारपीट में इस्तेमाल मत किया करो , बदन दुखता है हमारा, कभी सोचा है इस बारे में, तुमने तो हाथ में उठायी और दे दनादन दे दनादन, जिसको मारते हो उसका तो इलाज करा देते हो, पर हमें कभी पूछा है, और दे दनादन दे दनादन के बाद तुरन्त पैरों में पहने लेते हो सौ किलो का वजन रख चल पड़ते हो यह भी नही सोचते की इस्तेमाल के बाद हमें भी थोड़ी देर आराम दे दो।
शांतिलाल- अबे तुम तो ऐसी बात कर रहे हो जैसे तुम्हारा बहुत बड़ा अपमान कर दिया मैनें।
जूता- अरे हमारा क्या अपमान होगा, जूते हैं जूते रहेगें, हम तो समझा रहे हैं कि हमारे चक्कर में अपनी इज्जत कम मत करो वरना रह जाओगे तरसते हुए।
शांतिलाल- मैं समझा नही। काहे को तरसते हुए ।
जूता- अरे भाई बेटों को मारते हो, अगर बेटे गुस्सा हो गए तो समझ लेना सोशल मीडिया पर फोटो नही डालेंगे तुम्हारी, तुम्हारा फादर डे बिना नेटवर्क के मोबाईल जैसा गुजरेगा। समझे।
शांतिलाल कुछ कह पाते इससे पहले उनकी पत्नी ने हिलाकर उठाया चलिए उठिए चाय पी लीजिए सवेरा हो गया।
शांतिलाल नींद से जाग गए और सपना टूट गया ध्यान से देखा जूते खामोश अपने स्थान पर रखे थे ।
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