खाने से ज्यादा आदमी दवाई खा रहा है....................
रिश्वत या हराम की कमाई खा रहा है,
खाने से ज्यादा आदमी दवाई खा रहा है,
मयस्सर नही बच्चों को दूध एक वक्त
साहब के घर कुत्ता मलाई खा रहा है,
होकर बड़ा आदमी कालोनी में जा बसा,
खामोशी पी रहा है अब तन्हाई खा रहा है,
शौहर कमाकर खिलाए तो कोई बात नही,
बेगम कमाए तो कहे औरत की कमाई खा रहा है
बाप दादा का नाम मिटटी में मिलाकर
अपनी को बेच जमीन पराई खा रहा है,
जैसी करनी वैसी भरनी देख ले नादान,
घर दमादू के घर बैठकर घर जमाई खा रहा है।
@Nadan
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