शनिवार, जुलाई 24, 2010


चार दिन की ज़िन्दगी लुफ्त उठाते रहिये
शहर में अपनी भी पहचान बनाते रहिये
कौन है ज़माने में जिसे गम नहीं
अपनों के बीच यूँही मुस्कराते रहिये

2 टिप्‍पणियां: