नादान की नादानी
नीचे जमीं ऊपर आसमान रहने दो, समझदार बनो तुम मुझे नादान रहने दो ।
मंगलवार, मई 17, 2011
खामोश................
कीमत पेट्रोल की बढ़ रही
कितनी रफ़्तार से
कराह रही है जनता
महंगाई की मार से
वोह तो विदेशी है
शिकायत नहीं उनसे
खामोश इस कदर रहेंगे
यह उम्मीद न थी सरदार से
NADAN
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(शीर्षकहीन)
नादानी
ढॅूढतेे हो छायीं पेड़ को उखाड़कर, बने हैं कई मकान रिश्ते बिगाड़कर, तालीम भी तुमसे बदनाम हो गयी, पायी है डिग्री जो तुमने जुगाड़कर, ...
Marne ke baad sataya gaya
मरने के बाद भी हमको खूब सताया गया, मारा रिश्तों ने इल्जाम बीमारी पर लगाया गया। @Nadan 31 Aug 2022
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