शनिवार, फ़रवरी 27, 2010
मतभेद
शिकवा किस से करे
खुद जिस्म में ही मतभेद हो गए
पलकें काली है अबतक
बाल सर के सफ़ेद हो गए
भरा था जिस मटके में इज्ज़त का पानी
आयी जवानी तो उसमे भी छेद हो गए ...............
अम्मा तुझसे देखी न गयी मेरी आज़ादी
तुझे मिली बहु और हम क़ैद हो गए ............
जब तक थी मोहब्बत सब ठीक ही रहा
निकाह होते ही हम में विभेद हो गए .............
नादान
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गुनाह कुछ ऐसा किया है मैंने दोस्त नाम दुश्मन को दिया है मैंने खुद और खुदा की पहचान सिर्फ जिंदगी को अकेले ही जिया है मैंने .........दोस्त मेर...
भाई कमाल का लिखा है ... मज़ा भी है,अनोखी बातें भी और नीचे आपका दर्द भी:
जवाब देंहटाएंअम्मा तुझसे देखी न गयी मेरी आज़ादी
तुझे मिली बहु और हम क़ैद हो गए ...
नए ब्लॉग की बधाई