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मार्च, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

औकात में रहिये

बान्द्रा वरली सी लिंक के दुसरे चरण के उदघाटन समारोह के बाद देश में नेताओ के बेसुरे राग सुनायी पड़े सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को आमंत्रित करने और अमिताभ द्वारा तहे दिल से कार्यक्रम का हिस्सा बनकर शायद ही ऐसी ओछी राजनीती की कल्पना की होगी जैसी की उन्हें सुननी पड़ी । कांग्रेस में शायद ही कोई ऐसा नेता हो जिसकी छवि अमिताभ बच्चन के इर्द गिर्द कही ठहरती हो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने जो कुछ पाया वोह अपनी महनत से नहीं वरन पिता के नाम के बदले जो पहले मुख्यमंत्री रह चुके है । पार्टी आलाकमान भी विरासत में मिली सत्ता भोग रही है । इसके विपरीत अमिताभ बच्चन ने जो पाया वोह अपनी महनत से ही पाया । सदी के महानायक का सम्मान भी उनकी अपनी महनत और शालीनता से भरे व्यवहार की वजह से ही मिला न की राजनेताओ की तरह झूठे वादों से यह अमिताभ बच्चन की अपनी जमा पूँजी है जो उन्होंने अपनी महनत से बनाई । दुसरे की दया और नाम से सत्ता सुख भोगने वालों आपको अमिताभ का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उस महान व्यक्तित्व ने तुम्हारे निमंत्रण को स्वीकार कर कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए , महाराष्ट्र सरकार से पूछना चाहता हूँ कि क्या यह ...
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बचपन हर ग़म से बेगाना होता है

टूटती उम्मीदें

उनको ही नज़र अंदाज़ किया जा रहा है जिनकी पेंसन से राज किया जा रहा है दौलत से उनकी ज़माने को दावत मोटा उनको अनाज दिया जा रहा है .............. जिनकी पेंसन कुत्ते को देखने घर आते डॉक्टर सिविल में उनका इलाज़ किया जा रहा है ......... जिनकी पेंसन लय और ताल बचे नहीं जिनमे बहलाने को दिल वो साज दिया जा रहा है ............ जिनकी पेंसन भूख से तड़प कर गयी जान जिनकी भंडारा उनकी बरसी पर आज किया जा रहा है ..... जिनकी पेंसन

खामोश .काम करने दीजिये

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जब से चश्मा लगाने लगे हैं व्यस्त ज्यादा ही आने लगे हैं नैना अब महफूज हो गए हैं साइकिल भी तेज चलाने लगे हैं सुनकर पहले मुस्कराए जनाब बाद में हम पर गुस्साने लगे हैं कहते हैं लिखकर दे दूंगा यह सब ही हमको सताने लगे हैं काम बड़े कर रहे बचपन से "नादान" अब खुद को बताने लगे हैं
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दिनाक १७.०३.२०१० जनाब जहीर जी पुराने साथी के साथ यादव जी, रस्तोगी जी, वैदयानाथान जी, प्रवीण जी , उदय राज जी, कौशल जी और उमेश प्रसाद जी इस चित्र को संजोया मुकेश "नादान" ने

जज्बात

गुनाह कुछ ऐसा किया है मैंने दोस्त नाम दुश्मन को दिया है मैंने खुद और खुदा की पहचान सिर्फ जिंदगी को अकेले ही जिया है मैंने .........दोस्त मेरे ग़मों से तू हैरान न हो खुशियों को खुद छोड़ दिया है मैंने ........दोस्त तेरी दवा भी बेअसर हो गयी जहर कुछ ज्यादा ही पिया है मैंने ........दोस्त मिल गयी लाखो खुशियाँ मुझे नाम खुदा का एक बार लिया है मैंने .........दोस्त वो भूलकर खुश रहने लगे याद उनको भी नहीं किया है मैंने ............दोस्त मिल न जाये सजा गलतियों की खुद को नादान लिख लिया है मैंने .........दोस्त
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देश को आगे ले जाने के लिए देश के हर व्यक्ति को चाहे वोह भी किसी रुतबे पर क्यों न हो इन शब्दों का पालन करना चाहिए .........आप से नादान की यही गुज़ारिश है ...... जय हिंद ..... जय भारत
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मुकेश और शीतल ६ फ़रवरी २०१० को शाहजहाँ को याद करने पहुंचे मौका था शाहजहाँ के पहले निकाह के ४०० साल पूरा होना का १६१० में सफवी वंश की राजकुमारी जोकि मिर्ज़ा मुज़फ्फर हुसैन सफवी की पुत्री थी के साथ शाहजहाँ का पहला निकाह हुआ था । लाइक अहमद पेज संख्या १३४
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कुछ जुदा जुदा मेरे हुज़ूर नज़र आते है क्या बात है चश्मे बद्दूर नज़र आते है

महिला दिवस

जैसाकि ज्ञात है की हर वर्ष ८ मार्च को हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाकर कागजो में महिलाओं के विषय में बड़े बड़े वादे कर के तीनो लोको का जो सुख प्राप्त करते है वो शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है फिर भी मेरे कवि मन ने कुछ शब्दों के माध्यम से अपनी आवाज़ को बहार निकलने की कोशिश की है आसा है की मेरी गलतियों को इंगित कर मुझको कुछ सीखने का मौका देंगे धन्यवाद् महिला दिवस शान माँ बहन की और बढ़ाना चाहिए बहु और बेटी में फर्क मिटाना चाहिए साल में एक दिन मुझे कम लगता है महिला दिवस हर घर में रोज मानना चाहिए .......................... झुक कर करे सलाम जमाना उसको बेटी को काबिल इतना बनाना चाहिए ..................महिला ................... जन्म से पहले ही उसे मौत दे देना तुम्हारी इस आदत में बदलाव आना चाहिए ............महिला.................... बहु भी नज़र आये बेटी अपनी हर सास को चस्मा ऐसा लगाना चाहिए ................महिला....................... मुकेश " नादान "

पुलिस गाथा

पुलिस वालों तुम महान हो कितने कष्ट उठाते हो जादूगर भी हो तुम रस्सी को सांप बनाते हो चोर लुटेरे और हत्यारे आ जाए गर शरण तुम्हारे बाल न बांका होता उनका इंटरपोल भी छाप मारे उसके बदले किसी और को उम्र क़ैद कटवाते हो ............जादूगर भी हो तुम महिमा आपकी बड़ी निराली हाथ में डंडा मुह में गाली ले दे मामला शांत करते वर्ना ले जाते कोतवाली निर्दोषों पर भी तुम थर्ड डिग्री अपनाते हो ...........जादूगर भी हो तुम ...........
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तीर नज़रों से चलाये जा रहे है क्या बात है जो मुस्कराएँ जा रहे है नादान
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शहर के महान लोगो के साथ लाल कोट में नादान ..................................................नादान
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श्री मोहन लाल जी श्री बीर बहादुर जी श्री पूरन जी श्री उमेश प्रसाद जी श्री प्रेम सिंह नेगी जी श्री रामधीर जी सभी फिल्म्स प्रभाग भारत सरकार के रत्न है ।
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शत शत नमन महान नानाजी देशमुख को

२७ फरवरी २०१० को ज्ञात हुआ कि वर्तमान गन्दी राजनीति में एक ऐसा भी व्यक्ति था जिसे वास्तविक रूप में जनता का सेवक कहा जा सके , ९३ वर्ष की आयु में नानाजी देशमुख का देहांत २६ फ़रवरी २०१० को होने के पश्चात् समाचार पत्रों के माध्यम से इस महान सेवक के कभी न भुला पाने वाले सुकर्मो की जानकारी हुई , इस महान नेता ने ६० वर्ष की उम्र पूरी होने पर राजनीति से सन्यास लेकर जनता की सेवा करने का जो संकल्प लिया वो आधुनिक राजनीति के लिए एक सीख होनी चाहिए लेकिन कोई दूसरा नेता नानाजी नहीं बनते दिखा, जीवन को उच्च आदर्शो से जीने वाले नाना ने अपना पार्थिव शरीर एम्स दिल्ली को समर्पित कर सच्चे रूप में अमरत्व प्राप्त कर लिया। महाराष्ट्र में जन्मे नानाजी ने उत्तर भारत में दीनदयाल अनुसन्धान खोल कर इसी को अपनी कर्मभूमि बना लिया। बाल ठाकरे और राज ठाकरे जैसे संकुचित मानसिकता के लोगो को और सत्ता के लिए लालायित नाम मात्र के जनता के सेवको को नानाजी से सीख लेनी चाहिए, धन्य है नानाजी आप, नादान आपको शत शत नमन करता है।

रंगों का मज़हब

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सभी रंगों ने आपस में मिल कर, मिटा दिया है अपना अस्तित्व। भुला दिया है अपना धर्म, नही रहा भेद भाव का तत्त्व। नहीं रह गयी इनकी पहचान, इनसे कुछ सीखेगा इन्सान ?