संदेश

फ़रवरी, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

तस्वीर का राज

तेरी तस्वीर को लगा के रखता हूँ सीने से क्योंकि कलेजा हो गया छलनी सुबह शाम पीने से

कैसी होली

न वो गले मिलना न वो प्यार दिखाई देता है शहर में है दोस्त पर मोबाइल पर बधाई देता है छीन लिया है बचपन कॉपी और किताबों ने बच्चों के मुह से हैप्पी होली सुनायी देता है............

कानून किसके लिए

रोज ऑफिस जाते समय देखता हूँ और सोचता हूँ कि भगवान ने अपनी तरफ से किसी से भेदभाव नहीं किया लेकिन उसके बन्दों ने बिना भेदभाव के कोई काम नहीं किया, हर तरफ पॉवर और पैसे का खेल चल रहा है, दरोगा जी अकेले जाते लड़के को रोकते है हेलमेट लगाये रहने के बावजूद कागज की मांग जो थे उनसे काम नहीं चला जो नहीं थे उसकी मांग की गयी अंत में सौदा ले दे वाली प्रक्रिया से गुजरता हुआ लड़का मुक्त होकर विजयी महसूस करता है उधर दरोगा जी शायद कुछ इतना पा गए थे जो वर्दी पर दाग लगाने के लिए काफी था । ठीक उसी समय एक गाडी पर तीन पुलिस के जवान आते है दरोगा जी के पास गाड़ी रोकते है , हाथ मिलाकर तीनो आगे बढ़ जाते है, पर दरोगा को साथियों की गैर कानूनी हरकत दिखाई नहीं देती, सच है देश में सभी कानूनों का पालन करने और मानने का जिम्मा आम आदमी पर ही है, ख़ास भले ही वोह किसी अधिकारी का चपरासी हो लेकिन अपने खास की श्रेणी में रखकर देश के किसी भी कानून को जब चाहे तब तोड़ने के पूर्ण रूप से स्वतंत्र है । जय हिंद

किस्मत

हम जमी तुम आसमान हो गए एक दूजे से कितने अनजान हो गए बी ऐ करके हम सरकारी बाबु बने तुम अनपढ़,मंत्री बन महान हो गए ........ उम्र गुज़र गयी मेरी किरायेदारी में कैसे तुम्हारे अपने मकान हो गए जिस गाँव की मिटटी ने पाला है तुमको क्यों शहर आकर उससे अनजान हो गए .......... क्यों न डरे भूत अब इंसानों से शहर के बीच अब शमशान हो गए............... लगता है क़यामत आने वाली है पुजारी की गिरफ्त भगवान हो गए.......... अब इंसानों की हिफाज़त हो कैसे खुद मंदिर से चोरी भगवान हो गए............ नादान बेगुनाह साबित न हो सका गवाह दौलत के आगे बेजुबान हो गए.........................
चित्र
धोखा खा गए न .........जितना शरीफ दिख रहा है उतना है नहीं .....................
चित्र
अच्छा है ध्यान से देखने दो .......भाई
चित्र
हम साथ साथ है ..................................................
चित्र
नन्हे मुन्ने राही है दोनों बहिन भाई है
चित्र
उपर वाले का हम पर अहसान हो गया छोटा ही सही अपना मकान हो गया
चित्र
ध्यान से देखो आगे बढ़ो कुछ ऐसा ही सोच रहे है .........मिस्टर राकेश .........नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इमुनोलोजी नईदिल्ली वाले.
चित्र
सलाह डॉक्टर की पाने में लेट हो गया मुझसे बढ़ा जालिम मेरा पेट हो गया
चित्र
आइना वही पर तस्वीर बदलते दखी मैंने तुम मिले तो खुद की तकदीर बदलते दखी मैंने नादान

थ्री इडियट पार्ट 2

चित्र

मैडम प्रिया जी

चित्र

थ्री इडियट

चित्र
चित्र

जय हो सचिन...............

दोहरे शतक का देख धमाका होली में भी दागे पटाखा पूरा विश्व है नतमस्तक सीना चौड़ा भारत माँ का कोई क्रिकेट का भगवान कहे कोई कहे क्रिकेट का आका चाहे कुछ भी कह लो पर लाल है वो भारत माँ का २४ को ही जनम तुम्हारा २४ को ये ग़ज़ब नज़ारा तानसेन की नगरी में कौन सा था सुर तुम्हारा छोटे कद के काम बड़े किये भारत के नाम बड़े जैसे बढे उम्र तुम्हारी दे रहे अंजाम बढे तुमसे खेल की जान है तुमसे ही अपनी शान है तुम जैसे नगीनो से भारत बना महान है............. नादान

मतभेद

शिकवा किस से करे खुद जिस्म में ही मतभेद हो गए पलकें काली है अबतक बाल सर के सफ़ेद हो गए भरा था जिस मटके में इज्ज़त का पानी आयी जवानी तो उसमे भी छेद हो गए ............... अम्मा तुझसे देखी न गयी मेरी आज़ादी तुझे मिली बहु और हम क़ैद हो गए ............ जब तक थी मोहब्बत सब ठीक ही रहा निकाह होते ही हम में विभेद हो गए ............. नादान
जब से कुकर घर में आया स्वाद गया है खाने का घर घर में चलन बढ़ा है चाउमीन बर्गर लाने का माँ बाप को शौक बहुत है बच्चों को पढ़ाने का स्कूल वाले मांगे फीस तो बिना बात लड़ जाने का बाप चलेगा साइकिल से बेटा बाइक से जाने का अम्मा की दवा से पहले मोबाइल रिचार्ज कराने का छीन लिया है सी डी ने समय पढने और पढ़ाने का फर्स्ट डिविजन फ़ैल हुए तो टीचर पर दोष लगाने का
चंद रूपये जब से कमाने लगे है बेअदबी से पेश आने लगे है सीखा है जिससे उंगुली पकड़ के चलना उनको ही रास्ता दिखाने लगे है घरवाले पाते है मुश्किल से दाल रोटी वो होटल में बिरयानी खाने लगे है हाई स्कूल मुश्किल से पास करके जनाब डिग्री कॉलेज चलाने लगे है लगता है फिर चुनाव आने वाले है तभी नेताजी नज़र आने लगे है सीने से लगा रखा है लैपटॉप उसने माँ बाप उसको पुराने लगे है उम्र जिसकी गुजरी है जेल में अब वोह जेल मंत्री कहलाने लगे है बेकार आदमी कार पर चलता है बैंक वाले क्या गुल खिलने लगे है दवा के दामो से कोई नहीं डरता डाक्टर की फीस से घबराने लगे है हमने बनाया काबिल जिन्हें अपने लहू से नादान वोह हमको बताने लगे है