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Mukesh nadan with a smily face
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Mukesh nadan with his daughter shalini and son shikhar at New Delhi on 10th Dec 2010 in a marriage party.
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Shalini and Shikhar both were visited at Chhatarpur Temple in New Delhi on 9th Dec 2010.
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janab Rakesh at Qutubminar in New Delhi on 10th Dec 2010, the pose keep in camera by mukesh nadan
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Sheetal, Shalini, Rakesh and Mukesh nadan On 9th Dec 2010 at Chhatar pur Mandir New Delhi
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9th Dec 2010 Shikhar, Sheetal,Shalini and Rakesh visit at Chhatarpur Temple, New Delhi.
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Mukesh 'nadan' at Kasauli distt Solan in Himanchal Pradesh in 2009.
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Mukesh 'nadan' with Ustad Amjad Ali khan in 40th International Film Festival at Goa in 2009
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Mukesh 'nadan' with Ustad Amjad Ali khan at Goa International Film Festival at Goa in 2009
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Mukesh 'nadan' with famous music director Anand ji ( Kalyan ji anand ji)at Goa in International Film Festival 2009
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Mukesh 'nadan' with Gulzar saheb in 2009 at Goa International Film Festival.
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Mukesh 'nadan' with Nana Patekar in 2009 international Goa Film Festival

भारतीय पहनावा

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यह है शालिनी आज इन्होने पहली बार अपनी मदर की साडी पहनी और इस तस्वीर में अपनी वास्तविक उम्र से कुछ बड़ी दिख रही है पर बहुत खुश है की इनको सारी बाँधने की इजाजत मिल गई

वो जमाना अच्छा था

गरीब था हर शख्स पर सच्चा था आज के ज़माने से वो जमाना अच्छा था अब तो अपने भी इज्ज़त करना भूल गए उस वक़्त इज्ज़त देता मोहल्ले का हर बच्चा था ..............आज के ज़माने से पक्का हुआ मकान जब से जेब खाली हो गई दो चार हज़ार पास थे जब घर अपना कच्चा था ...........आज के ज़माने से

यह दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे

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फेमिना के बगल में शिखर उनके बगल में अनसु लखनऊ की दिलकुशा कालोनी में ईद के मौके पर .............हैप्पी ईद

बचपन की दोस्ती

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चारों सहेलियां केंद्रीय विद्यालय लखनऊ केंट में पढ़ती है ईद के मौके पर फेमिना ने सेवई की दावत दी थी सबसे लेफ्ट शालिनी उसके बाद अनसु फिर फेमिना और हिना ...........हैप्पी ईद

ईद मुबारक!

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ख़ुदाया बना कोई ऐसा निज़ाम , जहाँ सबकी ख़ुशियों का हो इंतज़ाम । रहे गर न बाक़ी कोई बदनसीब , तो हो जाए ' अनवार ' अपनी भी ईद ।

सारे जहाँ से अच्छा से हिंदुस्तान हमारा

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शालिनी, मानस और शिखर तीनो १५ अगस्त २०१० को स्कूल जाने के लिए तैयार तीनो ख़ुशी दिखाई दे रहे लड्डू मिलेंगे न भाई तो खुश क्यों न हो...................................

पढोगे लिखोगे बनोगे नवाब

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०९ अगस्त २०१० यह मानस के जीवन का सबसे ख़ास दिन आज से यह मदर टेरेसा पब्लिक स्कूल दुर्गापुरी निलमथा, लखनऊ केंट के स्टुडेंट हो गए है सोमवार का यह दिन इनके जीवन के लिए ख़ास रहेगा
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यह है मानस जी स्कूल का नाम अखिल उमेश यह हसी यूँही बनी रहे इसलिए इन्हें स्कूल भेजना जरुरी है यानी शिक्षा दिलाना हालाँकि यह ३ साल के है पर अक्ल में दोगुना आगे हाज़िर जवाब

हम बच्चे हिंदुस्तान के

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केंद्रीय विद्यालय लखनऊ केंट की टीचर शोभना कुमार के साथ शिखर और दीक्षा जिन्होंने डिज्नीलैंड का प्रोजेक्ट बनाया

सौभाग्य मेरा

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चौंदहवी का चाँद हो, छू लेने दो नाजुक होंठो को, बीते हुए लम्हों को कसक साथ तो होगी आदि लाजवाब गीतों के संगीतकार मैरून कमीज में रवि साहेब के साथ नवम्बर २००९ में गोवा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में सफ़ेद कमीज में मुकेश नादान

अलगाव वादियों होशियार

नमक हिंदुस्तान का खाते रहिये पाकिस्तान जिंदाबाद नारा लगाते रहिये कश्मीर है हमारा इसे छीन न सकोगे लड़िये हर बार और मुह की खाते रहिये ............ हम पत्थर नहीं हर वक़्त मददगार है भूकंप हो या बाढ़ आजमाते रहिये ......................... दुश्मनी करके हो जाओगे तबाह एक दिन चीन के झांसे में यूँ न आते रहिये ....................... दौर है कठिन इतराना छोड़ दे कबूल कर मदद माथे से लगाते रहिये ....................

भाई भतीजावाद

न नक्सल से खतरा है न डर है आतंकवाद से देश मेरा बर्बाद हो गया भाई भतीजावाद से .............. डिग्री लेकर देशभक्त बन बैठा है संतरी अनपढ़ बीवी को नेता जी बना बैठे मुख्यमंत्री किसी ने चारा बेच दिया कोई कमाया यूरिया खाद से .......देश मेरा बर्बाद ................ चपरासी बन ने के खातिर आठवां पास जरूरी बिना पढ़े लिखे बने मंत्री ऐसी क्या मजबूरी यमराज जी हमें बचा लो नेता रुपी जल्लाद से ...................देश मेरा बर्बाद ...................
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पैसे की खातिर ईमान बेच देंगे पहले जमी फिर आसमान बेच देंगे तालीम की कीमत पर घर न सजाना वर्ना बाद तेरे बच्चे सब सामान बेच देंगे ए कलम के सिपाहियों जागते रहना ये जनता के सेवक हिंदुस्तान बेच देंगे ए खुदा आज ही दे दे मौत मुझको कल समाज के ठेकेदार शमशान बेच देंगे

हम एक है

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फिल्म प्रभाग भारत सरकार लखनऊ शाखा के सभी साथी श्री मिश्री लाल जी के सेवानिवृति के मौके पर मौजूद सभी साथीगण

सभी धर्मो को आदर करो

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सभी धर्मों के आदर में हम सब को शीश झुकाना चाहिए ...............

इश्वर एक है नाम भिन्न है

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सभी धर्मो का श्रोत एक है इसलिए जात पांत की कोई बात नहीं होनी चाहिए..............क्यों भाई ठीक है न .

सुनहरी यादें

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श्री एस पी सिंह फिल्म्स डिविजन भारत सरकार के कंप्यूटर पर नादान
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फिल्म्स डिविजन भारत सरकार के श्री एस के शर्मा ,श्री के एन रस्तोगी, श्री एस पी सिंह के साथ सफ़ेद शर्ट में नादान
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यह कौन चित्रकार है .....................
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चार दिन की ज़िन्दगी लुफ्त उठाते रहिये शहर में अपनी भी पहचान बनाते रहिये कौन है ज़माने में जिसे गम नहीं अपनों के बीच यूँही मुस्कराते रहिये

दोस्त दो न रहा

अजब ज़माने का मंजर दिखाई देता है जहाँ कल खेत थे वहां बंजर दिखाई देता है दुश्मनों की बात क्या करें नादान दोस्तों के हाथ में भी खंजर दिखाई देता है
रोता हूँ रोज सवेरे जब अख़बार देखता हूँ पहले ही पन्ने पर हत्या बलात्कार देखता हूँ ............ फिर कातिल को सजा न दे पाई अदालत गवाहों को मुकरते बार बार देखता हूँ ................... ढूंढता रहा सारे दिन ख़बरों को पर ख़बरों से ज्यादा प्रचार देखता हूँ .............. दोष तुम्हारा नहीं खबरनवीशों मैं भी अख़बार के साथ उपहार देखता हूँ ........ खाली पड़े है मंदिर मस्जिद के रास्ते मैखानो में लम्बी कतार देखता हूँ .................. बेमानी से लगते है खून के रिश्ते जब एक घर चूल्हे चार देखता हूँ................
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गुजरे ज़माने की सुंदर तस्वीर

तो कोई बात hai

रोते को हँसाओ तो कोई बात है भेदभाव मिटाओ तो कोई बात है अपनों को तो अपना बना लेते है सब गैरों को अपना बनाओ तो कोई बात है
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यह चश्मे वाले साहेब हैं जनाब मानस जी उनके ठीक बांये है शिखर मुकेश और उनके बांये है शालिनी मुकेश तीनो ही अपनी शरारतों के लिए घर को अखाडा बना सकने की ताक़त रखते है इसलिए मई इन्हें कहता हूँ ........न्यू थ्री इदिओत्स.............कहो कैसी रही

बेवजह

मोदी बनाम नितीश जनता के पांच करोड़ की रकम पर दोनों ही ताल ठोक रहे है जो की लोकतंत्र के लिए नुक्सान दायक है और किसी भी तरह से गरीब जनता के हित में नहीं है सभ्य नेताओ से अनुरोध है की जनता की टैक्स की कमी को अपनी न समझे और आप खुद भी जनता के सेवक है न की मालिक इस लिए इस मुद्दे को ख़त्म कर दे बेहतर होगा .

मेरा यार बना है दूल्हा ,,,,,,,,

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२१.०५.२०१० को फिल्म्स प्रभाग,लखनऊ में श्री एन वैद्यनाथन को ट्रान्सफर हो जाने के कारण एक शानदार पार्टी दी गयी, इस मौके पर फोटो सेसन भी हुआ .
लाश से खीच लूँ कफ़न साथियों देश से बड़ा है धन साथियों मंत्री बनकर सब बेच जाऊंगा फिर तुम्हारे हवाले वतन साथियों नादान
शहर की बड़ी पार्टियों में दिखते है चाँद रुपयों के खातिर बिकते है कलम भी शर्मिंदा है उनसे जो कातिल को बेगुनाह लिखते है नादान
अपनों के अरमानो को यूँ कुचल दिया चुपचाप उसने मोबाइल का नंबर बदल दिया nadan

बेबसी

टूट ते बिखरते परिवार नज़र आते है खाक में मिलते संस्कार नज़र आते है भगवान भी रोता है यह देखकर मंदिरों से ज्यादा बार नज़र आते है ............ जिन हाथो ने उसे बनाया था काबिल बुढ़ापे में वोह बेबस लाचार नज़र आते है ........... मैयत से ज्यादा वसीयत की फ़िक्र में करीब मेरे रिश्तेदार नज़र आते है ............ सब बना रहे अलग आशियाना वजूद मिट जाने के आसार नज़र आते है ................ जिसने बनाई हैसियत तुम्हारी बुढ़ापे में क्यों बेकार नज़र आते है ........... क्यों न रोये सवेरे 'नादान' मेरी आँखे खून से लथपथ अखबार नज़र आते है .........
जिनको न मिली मोहब्बत वो पाने में बर्बाद हुए जिनको मिल गयी वो निभाने में बर्बाद हुए

औकात में रहिये

बान्द्रा वरली सी लिंक के दुसरे चरण के उदघाटन समारोह के बाद देश में नेताओ के बेसुरे राग सुनायी पड़े सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को आमंत्रित करने और अमिताभ द्वारा तहे दिल से कार्यक्रम का हिस्सा बनकर शायद ही ऐसी ओछी राजनीती की कल्पना की होगी जैसी की उन्हें सुननी पड़ी । कांग्रेस में शायद ही कोई ऐसा नेता हो जिसकी छवि अमिताभ बच्चन के इर्द गिर्द कही ठहरती हो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने जो कुछ पाया वोह अपनी महनत से नहीं वरन पिता के नाम के बदले जो पहले मुख्यमंत्री रह चुके है । पार्टी आलाकमान भी विरासत में मिली सत्ता भोग रही है । इसके विपरीत अमिताभ बच्चन ने जो पाया वोह अपनी महनत से ही पाया । सदी के महानायक का सम्मान भी उनकी अपनी महनत और शालीनता से भरे व्यवहार की वजह से ही मिला न की राजनेताओ की तरह झूठे वादों से यह अमिताभ बच्चन की अपनी जमा पूँजी है जो उन्होंने अपनी महनत से बनाई । दुसरे की दया और नाम से सत्ता सुख भोगने वालों आपको अमिताभ का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उस महान व्यक्तित्व ने तुम्हारे निमंत्रण को स्वीकार कर कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए , महाराष्ट्र सरकार से पूछना चाहता हूँ कि क्या यह ...
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बचपन हर ग़म से बेगाना होता है

टूटती उम्मीदें

उनको ही नज़र अंदाज़ किया जा रहा है जिनकी पेंसन से राज किया जा रहा है दौलत से उनकी ज़माने को दावत मोटा उनको अनाज दिया जा रहा है .............. जिनकी पेंसन कुत्ते को देखने घर आते डॉक्टर सिविल में उनका इलाज़ किया जा रहा है ......... जिनकी पेंसन लय और ताल बचे नहीं जिनमे बहलाने को दिल वो साज दिया जा रहा है ............ जिनकी पेंसन भूख से तड़प कर गयी जान जिनकी भंडारा उनकी बरसी पर आज किया जा रहा है ..... जिनकी पेंसन

खामोश .काम करने दीजिये

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जब से चश्मा लगाने लगे हैं व्यस्त ज्यादा ही आने लगे हैं नैना अब महफूज हो गए हैं साइकिल भी तेज चलाने लगे हैं सुनकर पहले मुस्कराए जनाब बाद में हम पर गुस्साने लगे हैं कहते हैं लिखकर दे दूंगा यह सब ही हमको सताने लगे हैं काम बड़े कर रहे बचपन से "नादान" अब खुद को बताने लगे हैं
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दिनाक १७.०३.२०१० जनाब जहीर जी पुराने साथी के साथ यादव जी, रस्तोगी जी, वैदयानाथान जी, प्रवीण जी , उदय राज जी, कौशल जी और उमेश प्रसाद जी इस चित्र को संजोया मुकेश "नादान" ने

जज्बात

गुनाह कुछ ऐसा किया है मैंने दोस्त नाम दुश्मन को दिया है मैंने खुद और खुदा की पहचान सिर्फ जिंदगी को अकेले ही जिया है मैंने .........दोस्त मेरे ग़मों से तू हैरान न हो खुशियों को खुद छोड़ दिया है मैंने ........दोस्त तेरी दवा भी बेअसर हो गयी जहर कुछ ज्यादा ही पिया है मैंने ........दोस्त मिल गयी लाखो खुशियाँ मुझे नाम खुदा का एक बार लिया है मैंने .........दोस्त वो भूलकर खुश रहने लगे याद उनको भी नहीं किया है मैंने ............दोस्त मिल न जाये सजा गलतियों की खुद को नादान लिख लिया है मैंने .........दोस्त
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देश को आगे ले जाने के लिए देश के हर व्यक्ति को चाहे वोह भी किसी रुतबे पर क्यों न हो इन शब्दों का पालन करना चाहिए .........आप से नादान की यही गुज़ारिश है ...... जय हिंद ..... जय भारत
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मुकेश और शीतल ६ फ़रवरी २०१० को शाहजहाँ को याद करने पहुंचे मौका था शाहजहाँ के पहले निकाह के ४०० साल पूरा होना का १६१० में सफवी वंश की राजकुमारी जोकि मिर्ज़ा मुज़फ्फर हुसैन सफवी की पुत्री थी के साथ शाहजहाँ का पहला निकाह हुआ था । लाइक अहमद पेज संख्या १३४
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कुछ जुदा जुदा मेरे हुज़ूर नज़र आते है क्या बात है चश्मे बद्दूर नज़र आते है

महिला दिवस

जैसाकि ज्ञात है की हर वर्ष ८ मार्च को हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाकर कागजो में महिलाओं के विषय में बड़े बड़े वादे कर के तीनो लोको का जो सुख प्राप्त करते है वो शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है फिर भी मेरे कवि मन ने कुछ शब्दों के माध्यम से अपनी आवाज़ को बहार निकलने की कोशिश की है आसा है की मेरी गलतियों को इंगित कर मुझको कुछ सीखने का मौका देंगे धन्यवाद् महिला दिवस शान माँ बहन की और बढ़ाना चाहिए बहु और बेटी में फर्क मिटाना चाहिए साल में एक दिन मुझे कम लगता है महिला दिवस हर घर में रोज मानना चाहिए .......................... झुक कर करे सलाम जमाना उसको बेटी को काबिल इतना बनाना चाहिए ..................महिला ................... जन्म से पहले ही उसे मौत दे देना तुम्हारी इस आदत में बदलाव आना चाहिए ............महिला.................... बहु भी नज़र आये बेटी अपनी हर सास को चस्मा ऐसा लगाना चाहिए ................महिला....................... मुकेश " नादान "

पुलिस गाथा

पुलिस वालों तुम महान हो कितने कष्ट उठाते हो जादूगर भी हो तुम रस्सी को सांप बनाते हो चोर लुटेरे और हत्यारे आ जाए गर शरण तुम्हारे बाल न बांका होता उनका इंटरपोल भी छाप मारे उसके बदले किसी और को उम्र क़ैद कटवाते हो ............जादूगर भी हो तुम महिमा आपकी बड़ी निराली हाथ में डंडा मुह में गाली ले दे मामला शांत करते वर्ना ले जाते कोतवाली निर्दोषों पर भी तुम थर्ड डिग्री अपनाते हो ...........जादूगर भी हो तुम ...........
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तीर नज़रों से चलाये जा रहे है क्या बात है जो मुस्कराएँ जा रहे है नादान
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शहर के महान लोगो के साथ लाल कोट में नादान ..................................................नादान
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श्री मोहन लाल जी श्री बीर बहादुर जी श्री पूरन जी श्री उमेश प्रसाद जी श्री प्रेम सिंह नेगी जी श्री रामधीर जी सभी फिल्म्स प्रभाग भारत सरकार के रत्न है ।
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शत शत नमन महान नानाजी देशमुख को

२७ फरवरी २०१० को ज्ञात हुआ कि वर्तमान गन्दी राजनीति में एक ऐसा भी व्यक्ति था जिसे वास्तविक रूप में जनता का सेवक कहा जा सके , ९३ वर्ष की आयु में नानाजी देशमुख का देहांत २६ फ़रवरी २०१० को होने के पश्चात् समाचार पत्रों के माध्यम से इस महान सेवक के कभी न भुला पाने वाले सुकर्मो की जानकारी हुई , इस महान नेता ने ६० वर्ष की उम्र पूरी होने पर राजनीति से सन्यास लेकर जनता की सेवा करने का जो संकल्प लिया वो आधुनिक राजनीति के लिए एक सीख होनी चाहिए लेकिन कोई दूसरा नेता नानाजी नहीं बनते दिखा, जीवन को उच्च आदर्शो से जीने वाले नाना ने अपना पार्थिव शरीर एम्स दिल्ली को समर्पित कर सच्चे रूप में अमरत्व प्राप्त कर लिया। महाराष्ट्र में जन्मे नानाजी ने उत्तर भारत में दीनदयाल अनुसन्धान खोल कर इसी को अपनी कर्मभूमि बना लिया। बाल ठाकरे और राज ठाकरे जैसे संकुचित मानसिकता के लोगो को और सत्ता के लिए लालायित नाम मात्र के जनता के सेवको को नानाजी से सीख लेनी चाहिए, धन्य है नानाजी आप, नादान आपको शत शत नमन करता है।

रंगों का मज़हब

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सभी रंगों ने आपस में मिल कर, मिटा दिया है अपना अस्तित्व। भुला दिया है अपना धर्म, नही रहा भेद भाव का तत्त्व। नहीं रह गयी इनकी पहचान, इनसे कुछ सीखेगा इन्सान ?

तस्वीर का राज

तेरी तस्वीर को लगा के रखता हूँ सीने से क्योंकि कलेजा हो गया छलनी सुबह शाम पीने से

कैसी होली

न वो गले मिलना न वो प्यार दिखाई देता है शहर में है दोस्त पर मोबाइल पर बधाई देता है छीन लिया है बचपन कॉपी और किताबों ने बच्चों के मुह से हैप्पी होली सुनायी देता है............

कानून किसके लिए

रोज ऑफिस जाते समय देखता हूँ और सोचता हूँ कि भगवान ने अपनी तरफ से किसी से भेदभाव नहीं किया लेकिन उसके बन्दों ने बिना भेदभाव के कोई काम नहीं किया, हर तरफ पॉवर और पैसे का खेल चल रहा है, दरोगा जी अकेले जाते लड़के को रोकते है हेलमेट लगाये रहने के बावजूद कागज की मांग जो थे उनसे काम नहीं चला जो नहीं थे उसकी मांग की गयी अंत में सौदा ले दे वाली प्रक्रिया से गुजरता हुआ लड़का मुक्त होकर विजयी महसूस करता है उधर दरोगा जी शायद कुछ इतना पा गए थे जो वर्दी पर दाग लगाने के लिए काफी था । ठीक उसी समय एक गाडी पर तीन पुलिस के जवान आते है दरोगा जी के पास गाड़ी रोकते है , हाथ मिलाकर तीनो आगे बढ़ जाते है, पर दरोगा को साथियों की गैर कानूनी हरकत दिखाई नहीं देती, सच है देश में सभी कानूनों का पालन करने और मानने का जिम्मा आम आदमी पर ही है, ख़ास भले ही वोह किसी अधिकारी का चपरासी हो लेकिन अपने खास की श्रेणी में रखकर देश के किसी भी कानून को जब चाहे तब तोड़ने के पूर्ण रूप से स्वतंत्र है । जय हिंद

किस्मत

हम जमी तुम आसमान हो गए एक दूजे से कितने अनजान हो गए बी ऐ करके हम सरकारी बाबु बने तुम अनपढ़,मंत्री बन महान हो गए ........ उम्र गुज़र गयी मेरी किरायेदारी में कैसे तुम्हारे अपने मकान हो गए जिस गाँव की मिटटी ने पाला है तुमको क्यों शहर आकर उससे अनजान हो गए .......... क्यों न डरे भूत अब इंसानों से शहर के बीच अब शमशान हो गए............... लगता है क़यामत आने वाली है पुजारी की गिरफ्त भगवान हो गए.......... अब इंसानों की हिफाज़त हो कैसे खुद मंदिर से चोरी भगवान हो गए............ नादान बेगुनाह साबित न हो सका गवाह दौलत के आगे बेजुबान हो गए.........................
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धोखा खा गए न .........जितना शरीफ दिख रहा है उतना है नहीं .....................
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अच्छा है ध्यान से देखने दो .......भाई
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हम साथ साथ है ..................................................
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नन्हे मुन्ने राही है दोनों बहिन भाई है
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उपर वाले का हम पर अहसान हो गया छोटा ही सही अपना मकान हो गया
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ध्यान से देखो आगे बढ़ो कुछ ऐसा ही सोच रहे है .........मिस्टर राकेश .........नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इमुनोलोजी नईदिल्ली वाले.