शनिवार, दिसंबर 18, 2010
शुक्रवार, अक्टूबर 15, 2010
भारतीय पहनावा
शुक्रवार, सितंबर 17, 2010
वो जमाना अच्छा था
गरीब था हर शख्स
पर सच्चा था
आज के ज़माने से
वो जमाना अच्छा था
अब तो अपने भी
इज्ज़त करना भूल गए
उस वक़्त इज्ज़त देता
मोहल्ले का हर बच्चा था ..............आज के ज़माने से
पक्का हुआ मकान जब से
जेब खाली हो गई
दो चार हज़ार पास थे
जब घर अपना कच्चा था ...........आज के ज़माने से
पर सच्चा था
आज के ज़माने से
वो जमाना अच्छा था
अब तो अपने भी
इज्ज़त करना भूल गए
उस वक़्त इज्ज़त देता
मोहल्ले का हर बच्चा था ..............आज के ज़माने से
पक्का हुआ मकान जब से
जेब खाली हो गई
दो चार हज़ार पास थे
जब घर अपना कच्चा था ...........आज के ज़माने से
रविवार, सितंबर 12, 2010
यह दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे
बचपन की दोस्ती
मंगलवार, सितंबर 07, 2010
ईद मुबारक!
शनिवार, सितंबर 04, 2010
सारे जहाँ से अच्छा से हिंदुस्तान हमारा
पढोगे लिखोगे बनोगे नवाब
सोमवार, अगस्त 30, 2010
हम बच्चे हिंदुस्तान के
शुक्रवार, अगस्त 27, 2010
सौभाग्य मेरा
सोमवार, अगस्त 23, 2010
अलगाव वादियों होशियार
नमक हिंदुस्तान का खाते रहिये
पाकिस्तान जिंदाबाद नारा लगाते रहिये
कश्मीर है हमारा इसे छीन न सकोगे
लड़िये हर बार और मुह की खाते रहिये ............
हम पत्थर नहीं हर वक़्त मददगार है
भूकंप हो या बाढ़ आजमाते रहिये .........................
दुश्मनी करके हो जाओगे तबाह एक दिन
चीन के झांसे में यूँ न आते रहिये .......................
दौर है कठिन इतराना छोड़ दे
कबूल कर मदद माथे से लगाते रहिये ....................
पाकिस्तान जिंदाबाद नारा लगाते रहिये
कश्मीर है हमारा इसे छीन न सकोगे
लड़िये हर बार और मुह की खाते रहिये ............
हम पत्थर नहीं हर वक़्त मददगार है
भूकंप हो या बाढ़ आजमाते रहिये .........................
दुश्मनी करके हो जाओगे तबाह एक दिन
चीन के झांसे में यूँ न आते रहिये .......................
दौर है कठिन इतराना छोड़ दे
कबूल कर मदद माथे से लगाते रहिये ....................
भाई भतीजावाद
न नक्सल से खतरा है
न डर है आतंकवाद से
देश मेरा बर्बाद हो गया
भाई भतीजावाद से ..............
डिग्री लेकर देशभक्त
बन बैठा है संतरी
अनपढ़ बीवी को नेता जी
बना बैठे मुख्यमंत्री
किसी ने चारा बेच दिया
कोई कमाया यूरिया खाद से .......देश मेरा बर्बाद ................
चपरासी बन ने के खातिर
आठवां पास जरूरी
बिना पढ़े लिखे बने मंत्री
ऐसी क्या मजबूरी
यमराज जी हमें बचा लो
नेता रुपी जल्लाद से ...................देश मेरा बर्बाद ...................
न डर है आतंकवाद से
देश मेरा बर्बाद हो गया
भाई भतीजावाद से ..............
डिग्री लेकर देशभक्त
बन बैठा है संतरी
अनपढ़ बीवी को नेता जी
बना बैठे मुख्यमंत्री
किसी ने चारा बेच दिया
कोई कमाया यूरिया खाद से .......देश मेरा बर्बाद ................
चपरासी बन ने के खातिर
आठवां पास जरूरी
बिना पढ़े लिखे बने मंत्री
ऐसी क्या मजबूरी
यमराज जी हमें बचा लो
नेता रुपी जल्लाद से ...................देश मेरा बर्बाद ...................
रविवार, अगस्त 22, 2010
मंगलवार, अगस्त 17, 2010
हम एक है
इश्वर एक है नाम भिन्न है
शुक्रवार, अगस्त 13, 2010
शनिवार, जुलाई 24, 2010
दोस्त दो न रहा
अजब ज़माने का
मंजर दिखाई देता है
जहाँ कल खेत थे
वहां बंजर दिखाई देता है
दुश्मनों की बात क्या
करें नादान
दोस्तों के हाथ में
भी खंजर दिखाई देता है
शनिवार, जुलाई 17, 2010
मंगलवार, जुलाई 13, 2010
रोता हूँ रोज सवेरे जब अख़बार देखता हूँ
पहले ही पन्ने पर हत्या बलात्कार देखता हूँ ............
फिर कातिल को सजा न दे पाई अदालत
गवाहों को मुकरते बार बार देखता हूँ ...................
ढूंढता रहा सारे दिन ख़बरों को
पर ख़बरों से ज्यादा प्रचार देखता हूँ ..............
दोष तुम्हारा नहीं खबरनवीशों
मैं भी अख़बार के साथ उपहार देखता हूँ ........
खाली पड़े है मंदिर मस्जिद के रास्ते
मैखानो में लम्बी कतार देखता हूँ ..................
बेमानी से लगते है खून के रिश्ते
जब एक घर चूल्हे चार देखता हूँ................
मंगलवार, जून 22, 2010
तो कोई बात hai
रोते को हँसाओ तो कोई बात है
भेदभाव मिटाओ तो कोई बात है
अपनों को तो अपना बना लेते है सब
गैरों को अपना बनाओ तो कोई बात है
बेवजह
मोदी बनाम नितीश
जनता के पांच करोड़ की रकम पर दोनों ही ताल ठोक रहे है जो की लोकतंत्र के लिए नुक्सान दायक है और किसी भी तरह से गरीब जनता के हित में नहीं है सभ्य नेताओ से अनुरोध है की जनता की टैक्स की कमी को अपनी न समझे और आप खुद भी जनता के सेवक है न की मालिक इस लिए इस मुद्दे को ख़त्म कर दे बेहतर होगा.
रविवार, जून 06, 2010
शनिवार, मई 22, 2010
गुरुवार, मई 20, 2010
सोमवार, अप्रैल 05, 2010
बेबसी
टूट ते बिखरते परिवार नज़र आते है
खाक में मिलते संस्कार नज़र आते है
भगवान भी रोता है यह देखकर
मंदिरों से ज्यादा बार नज़र आते है ............
जिन हाथो ने उसे बनाया था काबिल
बुढ़ापे में वोह बेबस लाचार नज़र आते है ...........
मैयत से ज्यादा वसीयत की फ़िक्र में
करीब मेरे रिश्तेदार नज़र आते है ............
सब बना रहे अलग आशियाना
वजूद मिट जाने के आसार नज़र आते है ................
जिसने बनाई हैसियत तुम्हारी
बुढ़ापे में क्यों बेकार नज़र आते है ...........
क्यों न रोये सवेरे 'नादान' मेरी आँखे
खून से लथपथ अखबार नज़र आते है .........
शनिवार, अप्रैल 03, 2010
रविवार, मार्च 28, 2010
औकात में रहिये
बान्द्रा वरली सी लिंक के दुसरे चरण के उदघाटन समारोह के बाद देश में नेताओ के बेसुरे राग सुनायी पड़े सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को आमंत्रित करने और अमिताभ द्वारा तहे दिल से कार्यक्रम का हिस्सा बनकर शायद ही ऐसी ओछी राजनीती की कल्पना की होगी जैसी की उन्हें सुननी पड़ी ।
कांग्रेस में शायद ही कोई ऐसा नेता हो जिसकी छवि अमिताभ बच्चन के इर्द गिर्द कही ठहरती हो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने जो कुछ पाया वोह अपनी महनत से नहीं वरन पिता के नाम के बदले जो पहले मुख्यमंत्री रह चुके है । पार्टी आलाकमान भी विरासत में मिली सत्ता भोग रही है । इसके विपरीत अमिताभ बच्चन ने जो पाया वोह अपनी महनत से ही पाया । सदी के महानायक का सम्मान भी उनकी अपनी महनत और शालीनता से भरे व्यवहार की वजह से ही मिला न की राजनेताओ की तरह झूठे वादों से यह अमिताभ बच्चन की अपनी जमा पूँजी है जो उन्होंने अपनी महनत से बनाई ।
दुसरे की दया और नाम से सत्ता सुख भोगने वालों आपको अमिताभ का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उस महान व्यक्तित्व ने तुम्हारे निमंत्रण को स्वीकार कर कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए , महाराष्ट्र सरकार से पूछना चाहता हूँ कि क्या यह कार्यक्रम उनका पारिवारिक कार्यक्रम था या कांग्रेस पार्टी का निजी कार्यक्रम था जवाब होगा नहीं तो फिर सार्वजनिक प्रोग्राम के लिए इतनी जलालत क्यों ? अमिताभ बच्चन ने आपका निमंत्रण स्वीकार करके कार्यक्रम में शामिल होकर अपना नहीं तुम्हारा ही सम्मान बढाया है, कही यह अभिषेक की शादी में निमंत्रण न पाने की खीझ तो नहीं , यह शादी अमिताभ की पारिवारिक शादी थी सार्वजनिक नहीं की हर ऐरे गैरे को पूछा जाए । अमिताभ बच्चन का विरोध करने वालो, कुर्सी के भूखों अमिताभ सी इज्ज़त पाने में तुम्हे न जाने कितने जन्म लेने पढेंगे शायद फिर भी अमिताभ न बन पाओ इसलिए अपनी हैसियत को पहचानिए और जो इस देश की परंपरा है उसका निर्वहन करे यानी अतिथि देवो भवो ।
जय हिंद जय भारत
रविवार, मार्च 21, 2010
टूटती उम्मीदें
उनको ही नज़र अंदाज़ किया जा रहा है
जिनकी पेंसन से राज किया जा रहा है
दौलत से उनकी ज़माने को दावत
मोटा उनको अनाज दिया जा रहा है ..............जिनकी पेंसन
कुत्ते को देखने घर आते डॉक्टर
सिविल में उनका इलाज़ किया जा रहा है .........जिनकी पेंसन
लय और ताल बचे नहीं जिनमे
बहलाने को दिल वो साज दिया जा रहा है ............जिनकी पेंसन
भूख से तड़प कर गयी जान जिनकी
भंडारा उनकी बरसी पर आज किया जा रहा है .....जिनकी पेंसन
जिनकी पेंसन से राज किया जा रहा है
दौलत से उनकी ज़माने को दावत
मोटा उनको अनाज दिया जा रहा है ..............जिनकी पेंसन
कुत्ते को देखने घर आते डॉक्टर
सिविल में उनका इलाज़ किया जा रहा है .........जिनकी पेंसन
लय और ताल बचे नहीं जिनमे
बहलाने को दिल वो साज दिया जा रहा है ............जिनकी पेंसन
भूख से तड़प कर गयी जान जिनकी
भंडारा उनकी बरसी पर आज किया जा रहा है .....जिनकी पेंसन
बुधवार, मार्च 17, 2010
खामोश .काम करने दीजिये
गुरुवार, मार्च 11, 2010
जज्बात
गुनाह कुछ ऐसा किया है मैंने
दोस्त नाम दुश्मन को दिया है मैंने
खुद और खुदा की पहचान सिर्फ
जिंदगी को अकेले ही जिया है मैंने .........दोस्त
मेरे ग़मों से तू हैरान न हो
खुशियों को खुद छोड़ दिया है मैंने ........दोस्त
तेरी दवा भी बेअसर हो गयी
जहर कुछ ज्यादा ही पिया है मैंने ........दोस्त
मिल गयी लाखो खुशियाँ मुझे
नाम खुदा का एक बार लिया है मैंने .........दोस्त
वो भूलकर खुश रहने लगे
याद उनको भी नहीं किया है मैंने ............दोस्त
मिल न जाये सजा गलतियों की
खुद को नादान लिख लिया है मैंने .........दोस्त
शुक्रवार, मार्च 05, 2010
महिला दिवस
जैसाकि ज्ञात है की हर वर्ष ८ मार्च को हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाकर कागजो में महिलाओं के विषय में बड़े बड़े वादे कर के तीनो लोको का जो सुख प्राप्त करते है वो शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है फिर भी मेरे कवि मन ने कुछ शब्दों के माध्यम से अपनी आवाज़ को बहार निकलने की कोशिश की है आसा है की मेरी गलतियों को इंगित कर मुझको कुछ सीखने का मौका देंगे
धन्यवाद्
महिला दिवस
शान माँ बहन की
और बढ़ाना चाहिए
बहु और बेटी में
फर्क मिटाना चाहिए
साल में एक दिन
मुझे कम लगता है
महिला दिवस हर घर में
रोज मानना चाहिए ..........................
झुक कर करे सलाम
जमाना उसको
बेटी को काबिल इतना बनाना चाहिए ..................महिला ...................
जन्म से पहले ही
उसे मौत दे देना
तुम्हारी इस आदत में बदलाव आना चाहिए ............महिला....................
बहु भी नज़र आये
बेटी अपनी
हर सास को चस्मा ऐसा लगाना चाहिए ................महिला.......................
मुकेश " नादान "
पुलिस गाथा
पुलिस वालों तुम महान हो
कितने कष्ट उठाते हो
जादूगर भी हो तुम
रस्सी को सांप बनाते हो
चोर लुटेरे और हत्यारे
आ जाए गर शरण तुम्हारे
बाल न बांका होता उनका
इंटरपोल भी छाप मारे
उसके बदले किसी और को
उम्र क़ैद कटवाते हो ............जादूगर भी हो तुम
महिमा आपकी बड़ी निराली
हाथ में डंडा मुह में गाली
ले दे मामला शांत करते
वर्ना ले जाते कोतवाली
निर्दोषों पर भी तुम
थर्ड डिग्री अपनाते हो ...........जादूगर भी हो तुम ...........
सोमवार, मार्च 01, 2010
शत शत नमन महान नानाजी देशमुख को
२७ फरवरी २०१० को ज्ञात हुआ कि वर्तमान गन्दी राजनीति में एक ऐसा भी व्यक्ति था जिसे वास्तविक रूप में जनता का सेवक कहा जा सके , ९३ वर्ष की आयु में नानाजी देशमुख का देहांत २६ फ़रवरी २०१० को होने के पश्चात् समाचार पत्रों के माध्यम से इस महान सेवक के कभी न भुला पाने वाले सुकर्मो की जानकारी हुई , इस महान नेता ने ६० वर्ष की उम्र पूरी होने पर राजनीति से सन्यास लेकर जनता की सेवा करने का जो संकल्प लिया वो आधुनिक राजनीति के लिए एक सीख होनी चाहिए लेकिन कोई दूसरा नेता नानाजी नहीं बनते दिखा, जीवन को उच्च आदर्शो से जीने वाले नाना ने अपना पार्थिव शरीर एम्स दिल्ली को समर्पित कर सच्चे रूप में अमरत्व प्राप्त कर लिया। महाराष्ट्र में जन्मे नानाजी ने उत्तर भारत में दीनदयाल अनुसन्धान खोल कर इसी को अपनी कर्मभूमि बना लिया। बाल ठाकरे और राज ठाकरे जैसे संकुचित मानसिकता के लोगो को और सत्ता के लिए लालायित नाम मात्र के जनता के सेवको को नानाजी से सीख लेनी चाहिए, धन्य है नानाजी आप, नादान आपको शत शत नमन करता है।
रंगों का मज़हब
रविवार, फ़रवरी 28, 2010
कैसी होली
न वो गले मिलना न वो प्यार दिखाई देता है
शहर में है दोस्त पर मोबाइल पर बधाई देता है
छीन लिया है बचपन कॉपी और किताबों ने
बच्चों के मुह से हैप्पी होली सुनायी देता है............
शहर में है दोस्त पर मोबाइल पर बधाई देता है
छीन लिया है बचपन कॉपी और किताबों ने
बच्चों के मुह से हैप्पी होली सुनायी देता है............
कानून किसके लिए
रोज ऑफिस जाते समय देखता हूँ और सोचता हूँ कि भगवान ने अपनी तरफ से किसी से भेदभाव नहीं किया लेकिन उसके बन्दों ने बिना भेदभाव के कोई काम नहीं किया, हर तरफ पॉवर और पैसे का खेल चल रहा है, दरोगा जी अकेले जाते लड़के को रोकते है हेलमेट लगाये रहने के बावजूद कागज की मांग जो थे उनसे काम नहीं चला जो नहीं थे उसकी मांग की गयी अंत में सौदा ले दे वाली प्रक्रिया से गुजरता हुआ लड़का मुक्त होकर विजयी महसूस करता है उधर दरोगा जी शायद कुछ इतना पा गए थे जो वर्दी पर दाग लगाने के लिए काफी था । ठीक उसी समय एक गाडी पर तीन पुलिस के जवान आते है दरोगा जी के पास गाड़ी रोकते है , हाथ मिलाकर तीनो आगे बढ़ जाते है, पर दरोगा को साथियों की गैर कानूनी हरकत दिखाई नहीं देती, सच है देश में सभी कानूनों का पालन करने और मानने का जिम्मा आम आदमी पर ही है, ख़ास भले ही वोह किसी अधिकारी का चपरासी हो लेकिन अपने खास की श्रेणी में रखकर देश के किसी भी कानून को जब चाहे तब तोड़ने के पूर्ण रूप से स्वतंत्र है ।
जय हिंद
किस्मत
हम जमी तुम आसमान हो गए
एक दूजे से कितने अनजान हो गए
बी ऐ करके हम सरकारी बाबु बने
तुम अनपढ़,मंत्री बन महान हो गए ........
उम्र गुज़र गयी मेरी किरायेदारी में
कैसे तुम्हारे अपने मकान हो गए
जिस गाँव की मिटटी ने पाला है तुमको
क्यों शहर आकर उससे अनजान हो गए ..........
क्यों न डरे भूत अब इंसानों से
शहर के बीच अब शमशान हो गए...............
लगता है क़यामत आने वाली है
पुजारी की गिरफ्त भगवान हो गए..........
अब इंसानों की हिफाज़त हो कैसे
खुद मंदिर से चोरी भगवान हो गए............
नादान बेगुनाह साबित न हो सका
गवाह दौलत के आगे बेजुबान हो गए.........................
एक दूजे से कितने अनजान हो गए
बी ऐ करके हम सरकारी बाबु बने
तुम अनपढ़,मंत्री बन महान हो गए ........
उम्र गुज़र गयी मेरी किरायेदारी में
कैसे तुम्हारे अपने मकान हो गए
जिस गाँव की मिटटी ने पाला है तुमको
क्यों शहर आकर उससे अनजान हो गए ..........
क्यों न डरे भूत अब इंसानों से
शहर के बीच अब शमशान हो गए...............
लगता है क़यामत आने वाली है
पुजारी की गिरफ्त भगवान हो गए..........
अब इंसानों की हिफाज़त हो कैसे
खुद मंदिर से चोरी भगवान हो गए............
नादान बेगुनाह साबित न हो सका
गवाह दौलत के आगे बेजुबान हो गए.........................
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गुनाह कुछ ऐसा किया है मैंने दोस्त नाम दुश्मन को दिया है मैंने खुद और खुदा की पहचान सिर्फ जिंदगी को अकेले ही जिया है मैंने .........दोस्त मेर...
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ढॅूढतेे हो छायीं पेड़ को उखाड़कर, बने हैं कई मकान रिश्ते बिगाड़कर, तालीम भी तुमसे बदनाम हो गयी, पायी है डिग्री जो तुमने जुगाड़कर, ...